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जानिए, रेल हादसों पर लगेगा विराम, लोको पायलट को तुरंत मिलेगी ट्रैक चटकने की जानकारी

डिवाइस आवाज के बदलाव से पटरी की स्थिति की जांच कर लोको पायलट तक संकेत भेजने का काम करेगी।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 12 Mar 2018 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:39 AM (IST)
जानिए, रेल हादसों पर लगेगा विराम, लोको पायलट को तुरंत मिलेगी ट्रैक चटकने की जानकारी
जानिए, रेल हादसों पर लगेगा विराम, लोको पायलट को तुरंत मिलेगी ट्रैक चटकने की जानकारी

नोएडा (जेएनएन)। हाल के दिनों में पटरी चटकने से रेलवे की काफी किरकिरी हुई है। संपत्ति के नुकसान के साथ जानमाल की क्षति भी हुई है। रेलवे इस तरह के हादसों को रोकने के लिए गाजियाबाद-लखनऊ वाया मुरादाबाद रूट पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऐसी तकनीक का उपयोग करने जा रहा है, जो पटरी चटकने की जानकारी तुरंत लोको पायलट तक पहुंचा कर दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगी।

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भारतीय रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सीमेंस कंपनी के साथ अनुबंध किया है। इस तकनीकी का उपयोग आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया देशों में कर रेल हादसे रोकने में मदद मिली है। सीमेंस कंपनी, आस्ट्रेलिया की एमआरएक्स कंपनी की ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम (बीआरडी) का सहारा ले रही है।

इस सिस्टम के तहत इंजन में एक डिवाइस लगाई जाएगी। डिवाइस आवाज के बदलाव से पटरी की स्थिति की जांच कर लोको पायलट तक संकेत भेजने का काम करेगी। लोको पायलट को पता चल जाएगा कि ट्रेन जिस पटरी से गुजर रही है वह चटकी हुई है। इस संकेत को अगले स्टेशन मास्टर को भेज कर रूट पर दूसरी ट्रेन को गुजरने से रोका जा सकेगा।

ग्रेटर नोएडा एक्सपो मार्ट में चल रही पांच दिवसीय प्रदर्शनी इलेक्रामा के दौरान सीमेंस कंपनी के एग्जीक्यूटिव आकाश सोलंकी ने बताया कि सीमेंस कंपनी आस्ट्रेलिया की एमआरएक्स कंपनी के साथ इस काम को पूरा करने के लिए साङोदार बनाया गया है।

उन्होंने दावा किया है इस तकनीक के उपयोग से भारतीय रेलवे में करीब 60 फीसद तक दुर्घटनाएं कम हो सकती हैं। पहले चरण में करीब 473 किलोमीटर लंबे रूट पर पायलट प्रोजक्ट के रूप में इस तकनीक का उपयोग दो मेमू ट्रेनों में किया जाएगा। पायलट प्रोजक्ट सफल होने पर अन्य रूट पर भी इसका उपयोग किया जा सकेगा।

दिल्ली से सटे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के आवागमन का काफी दबाव है। इस स्टेशन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार समेत पूवरेत्तर राज्यों की तरफ जाने वाली ट्रेनों का काफी दबाव है।

ऐसे काम करेगी डिवाइस

ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम डिवाइस में एक सेंडर व रिसीवर होगा। सेंडर मैग्नेटिक फ्लक्स बनाएगा, जो पटरी से होकर रिसीवर तक पहुंचेगा। अगर पटरी चटकी होगी सेंसर पटरी की आवाज में बदलाव दर्ज करेगा। यह संकेत लोको पायलट तक पहुंचेगा और उसे पता लग जाएगा कि पटरी चटकी हुई है।


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