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देश में नई राजनीति की ‘शुरुआत’ की जन्मदाता बनी दिल्ली, केजरीवाल का दावा

केजरीवाल सरकार का सत्ता में आना इसका स्पष्ट संकेत है कि परंपरागत राजनीति से सत्ता हासिल करना अब आसान नहीं रह गया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 08:56 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 08:56 AM (IST)
देश में नई राजनीति की ‘शुरुआत’ की जन्मदाता बनी दिल्ली, केजरीवाल का दावा
देश में नई राजनीति की ‘शुरुआत’ की जन्मदाता बनी दिल्ली, केजरीवाल का दावा

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। अरविंद केजरीवाल के तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के साथ ही देश में एक नई राजनीति की शुरुआत भी हो गई है। यह राजनीति है स्कूल, अस्पताल, बिजली और पानी जैसे स्थानीय मुददों की। इसी का असर है कि न केवल अब दिल्ली के बाहर भी केजरीवाल के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि अन्य राज्य सरकारों ने भी राजधानी की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की नीतियों का अनुसरण करना शुरू कर दिया है। केजरीवाल ने ऐतिहासिक रामलीला मैदान से अपने संबोधन में इसकी तस्दीक भी की।

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार भी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हुई। सीएए, एनआरसी और शाहीन बाग के जरिए वोटों के ध्रुवीकरण सहित विकास से जुड़े परंपरागत मुद्दे भी खूब उठे, लेकिन पूरी तरह बेमानी ही साबित हुए। जनता का झुकाव स्थानीय मुद्दों पर ज्यादा रहा। अस्पतालों और स्कूलों में सुधार, बिजली-पानी की बेहतर आपूर्ति और बिल कम, बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर.. जैसे मुद्दे जनता को काफी भाए। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर वोट भी इन्हीं सब मुददों पर पड़े।

दिल्ली की तकरीबन दो करोड़ की आबादी में कमोबेश हर राज्य के निवासी शामिल हैं। लगातार तीसरी बार यहां केजरीवाल सरकार का सत्ता में आना इसका स्पष्ट संकेत है कि परंपरागत राजनीति से सत्ता हासिल करना अब आसान नहीं रह गया है। मतदाता यह सोचने लगा है कि उसके लिए वो मुद्दे प्राथमिकता में सबसे आगे हैं, जिनका उससे रोजमर्रा की जिंदगी में सीधा जुड़ाव है। अस्पताल, स्कूल और बिजली-पानी से उसका रोज का वास्ता है, अगर वहां बेहतर सुविधा मिलती है तो वह ऐसी सरकार से संतुष्ट है।

दिल्ली में रह रहे दूसरे राज्यों के निवासियों के जरिए अब इस सबकी चर्चा उनके मूल प्रदेश में भी शुरू हो गई है। यही वजह है कि सरकार चाहे कहीं पर भाजपा की हो या कांग्रेस की या फिर गठबंधन की या अन्य किसी दल की, दिल्ली सरकार के मॉडल की चर्चा होने लगी है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो दिल्ली की तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक बनाने की घोषणा भी कर चुके हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने अपने राज्य में दिल्ली मॉडल की आवश्यकता पर बल दिया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 75 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर चुकी हैं। हाल ही में वित्त वर्ष 2020-21 के बजट को लेकर हुई हरियाणा के सांसदों की बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी दिल्ली मॉडल की तर्ज पर शिक्षा-स्वास्थ्य पर जोर देने की सलाह दी गई है।

अपने उद्बोधन में केजरीवाल ने भी कहा कि उनके पास जगह-जगह से खबर आ रही है कि फलां राज्य में सरकार ने ऐसा कर दिया है तो फलां राज्य में सरकार ऐसा करने जा रही है। जहां कहीं सरकार हमारी नीतियों का अनुसरण नहीं कर रही, वहां पर लोग सरकार से कहने लगे हैं कि जब दिल्ली में ऐसा हो सकता है तो यहां क्यों नहीं! केजरीवाल ने ट्वीट भी किया कि दिल्ली के लोगों ने नई राजनीति को जन्म दिया है।


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