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Heroes of Delhi Violence: गांव में घुस नहीं सके उपद्रवी, ऐसी है यहां पर हिंदू-मुस्लिम एकता

Heroes of Delhi Violence गांव के लोगों का कहना है कि वह इंसानियत को अपना धर्म मानते हैं। यहां मुस्लिमों को भजन से और हिंदुओं को अजान से कोई दिक्कत नहीं होती है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 10:03 PM (IST)
Heroes of Delhi Violence: गांव में घुस नहीं सके उपद्रवी, ऐसी है यहां पर हिंदू-मुस्लिम एकता

मुसलमां और हिंदू की जान, कहां है मेरा हिंदुस्तान

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मैं उसको ढूंढ रहा हूं, मैं उसको ढूंढ रहा हूं,

मेरे बचपन का हिंदुस्तान, न बांग्लादेश न पाकिस्तान

मेरी आशा मेरा अरमान, वो पूरा-पूरा हिंदुस्तान

मैं उसको ढूंढ रहा हूं।

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। Heroes of Delhi Violence: अजमल सुल्तानपुरी साहब की यह नज्म यमुनापार के मौजूदा हालत पर बिल्कुल सटीक बैठती है। यमुनापार दंगों की आग में झुलस रहा है, लोग एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भा रहे हैं। इन सबके बीच बाबरपुर गांव हिंदू मुस्लिम की एकता की मिसाल बना हुआ है। इस गांव में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों की पहचान कर पाना मुश्किल है। यहां मुस्लिम हिंदुओं को राम-राम कहते हैं और हिंदू मुस्लिमों को अस्लामवालेकुम कहते हैं। यह गांव आजादी से पहले के समय का है, यहां राजपूत और मुस्लिमों की आबादी है। गांव के लोग खुद को एक ही परिवार का मानते हैं।

इस गांव में मंदिर और मस्जिद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर है। सुबह के वक्त मंदिर से भजन और मस्जिद से अजान की आवाज एक साथ आती है। गांव के लोगों का कहना है कि वह इंसानियत को अपना धर्म मानते हैं। यहां मुस्लिमों को भजन से और हिंदुओं को अजान से कोई दिक्कत नहीं होती है।

गांव में घुस नहीं पाया कोई दंगाई

बाबरपुर गांव से महज सात सौ मीटर की दूरी पर मौजपुर चौक पर 24 फरवरी को हिंसा भड़की थी। हिंसा की आग तेजी से कई इलाकों में फैली और घर के घर तबाह हो गए। लेकिन यहां ग्रामीण अपने गांव की सुरक्षा के लिए ढाल बनकर खड़े हुए, जिसका नतीजा यह हुआ हुआ कि दंगाई फटक तक नहीं पाए। रात में भी हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ गांव में पहरा देते रहे और अभी भी ऐसा ही कर रहे हैं।

क्या कहते हैं स्थानीय

इनकम टैक्स विभाग के पूर्व अधिकारी समी उल्लाह ने कहा कि गांव में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक दूसरे की शादी समारोह में आते हैं। आजादी से लेकर अब तक का इतिहास है कि यहां अमन नहीं बिगड़ा। बच्चों को ऐसी तालीम दी हुई है अगर कोई हिंदू मिले तो उसे राम-राम करें। इससे सौहार्द बना रहता है।

नंबरदार परविंदर सिंह का कहना है कि गांव में हिंदू और मुस्लिम की पहचान कर पाना मुश्किल है, सब एक साथ बैठकर खाना खाते हैं और त्योहार मनाते हैं। यमुनापार के लोगों को बाबरपुर गांव से सीख लेनी चाहिए कि कैसे मोहब्बत के साथ रहा जाता है।

एक अन्य ग्रामीण आफाक उस्मानी ने यमुनापार जल रहा है, लेकिन गांव में शांति है। यह सिर्फ इसलिए ही मुमकिन है, क्योंकि यहां के लोग सौहार्द से रहते आए हैं। दंगाइयों को ग्रामीणों ने गांव में घुसने तक नहीं दिया।

ठाकुर हुकम सिंह ने बताया कि धर्म और जाति से कुछ नहीं होता, इंसान में इंसानियत होनी चाहिए। गांव में किसी मुस्लिम परिवार में शादी होती है तो हिंदू जाते हैं। मंदिर और मस्जिद पास में है, यहां बच्चे बुजुर्ग पुरुषों को ताऊ और फूफा और महिलाओं को ताइ व मौसी कहकर बुलाते हैं।


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