...जब दंगाइयों से हनुमान भक्त जयबीर ने कहा रफी के घर को जलाने से पहले मुझे मारना होगा
जयबीर ने बाहर जाकर देखा तो हजारों लोगों की भीड़ अपने हाथों में डंडे पत्थर और हथियार लेकर खड़ी थी। भीड़ ने एकदम से घर पर पथराव शुरू कर दिया।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। दिल्ली के दंगों जहां कुछ लोग एक खून खराबा करने पर उतारू हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। ऐसे ही जयबीर सिंह। जयबीर बजरंगबली के भक्त हैं। एक रात वह अपने परिवार संग खाना खा रहे थे, तभी अचानक घर के बाहर रोड से तेज आवाज आनी शुरू हो गई।
सामने खड़ी थी हिंसक भीड़
बाहर जाकर देखा तो हजारों लोगों की भीड़ अपने हाथों में डंडे, पत्थर और हथियार लेकर खड़ी थी। भीड़ ने एकदम से घर पर पथराव शुरू कर दिया। पूरा परिवार घर के एक कमरे में छिप गया। भीड़ ने घर के नीचे बने उनके मेडिकल स्टोर का शटर तोड़ा और उसमें से सारा सामान लूट लिया। इसके बाद स्टोर में आग लगा दी। एक घंटे तक परिवार घर में बंधक बना हुआ था, जैसे तैसे परिवार ने गली में भाग अपनी जान बचाई।
जान पर खेल कर बचाई रफी के परिवारवालों की जान
कुछ देर बाद दंगाई फिर से वापस पहुंचे और जयबीर सिंह के पड़ोस में रहने वाले मुहम्मद रफी की दुकान फूंकने की कोशिश करने लगे। जयबीर ने अपनी जान जोखिम में डाली और दंगाइयों के सामने रफी के परिवार की जान बचाने के लिए ढाल बनकर खड़े हो गए। उन्होंने दंगाइयों से कहा कि रफी के घर तक पहुंचने के लिए उन्हें पहले उनसे निपटना पड़ेगा। जयबीर के क्रोध के सामने दंगाइयों को वापस लौटना पड़ा। उनकी बहादुरी की वजह से एक मुस्लिम परिवार का घर तबाह होने से बच गया।
सिर्फ एक ही मुस्लिम परिवार है वहां
बता दें कि दोनों परिवारों ने घर के नीचे दुकानें बनाई हुई हैं। जिस गली में दोनों का घर है, वह हिंदू बहुल क्षेत्र है। उस क्षेत्र में सिर्फ रफी का परिवार ही एकलौता मुस्लिम परिवार है। जयबीर ने बताया कि वह बजरंगबली के भक्त हैं, जाति धर्म में विश्वास नहीं रखते हैं। उनका फर्ज था कि वह अपने साथ ही अपने पड़ोसी की जान बचाएं।