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दिल्ली विश्वविद्यालय ने समाप्त कीं जीएन साईबाबा की सेवाएं, कहा फैसला नियमों के तहत

दिल्ली विश्वविद्यालय ने रामलाल आनंद कालेज के सहायक प्रोफेसर जीएन साईबाबा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। साईबाबा की पत्नी वसंता कुमारी ने डीयू के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। हालांकि डीयू प्रशासन ने कहा है कि फैसला नियमों के तहत लिया गया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 04:23 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 04:23 PM (IST)
दिल्ली विश्वविद्यालय ने समाप्त कीं जीएन साईबाबा की सेवाएं, कहा फैसला नियमों के तहत
डीयू प्रशासन ने कहा है कि फैसला नियमों के तहत लिया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने रामलाल आनंद कालेज के सहायक प्रोफेसर जीएन साईबाबा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। साईबाबा की पत्नी वसंता कुमारी ने डीयू के इस फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। हालांकि डीयू प्रशासन ने कहा है कि फैसला नियमों के तहत लिया गया है।

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डीयू ने उनका टर्मिनेशन लेटर 31 मार्च को उनके परिवार को भेजा था। कालेज प्राचार्य राकेश कुमार गुप्ता के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि रामलाल आनंद कालेज के अंग्रेजी के सहायक प्रोफेसर जी एन साईबाबा की सेवाएं 31 मार्च 2021 की दोपहर से तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती हैं। उनके बैंक खाते में तीन महीने के वेतन का भुगतान कर दिया गया है।

डीयू के उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा कि साईबाबा को 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अदालत ने माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साईबाबा नागपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। गिरफ्तारी के बाद ही साईबाबा को निलंबित कर दिया गया था। परिवार को आधा वेतन दिया जा रहा था, लेकिन अब उनकी सेवाएं जारी रखना नियम के अनुसार सही नहीं है।

उधर, साईबाबा की पत्नी ने कहा कि सजा के खिलाफ हमारी अपील अब भी बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है। ऐसे में डीयू को सेवाएं समाप्त करने का निर्णय नहीं लेना चाहिए था।

शिक्षकों ने किया स्वागत

डीयू कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. वीएस नेगी ने कहा कि साईबाबा को नक्सली गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह कानूनी प्रक्रिया से गुजर कर सजा तक पंहुचे हैं। विश्वविद्यालय में शिक्षकों का मुख्य कार्य अध्यापन है। प्रत्यक्ष रूप में इस तरह की गतिविधियां ‘वार अगेंस्ट इंडिया’ हैं। ऐसे में डीयू के इस फैसले का शिक्षकों ने स्वागत किया है।


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