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Delhi: दिल्ली पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद चकमा देकर 2 रोहिंग्या हुए गायब, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता

Delhi Rohingya Missing Case दिल्ली में रोहिंग्या की अवैध गतिविधियों को देखते हुए इनके खिलाफ सख्ती बरती जा रही है। सूत्रों की मानें तो पुलिस जल्द ही इनके खिलाफ अभियान चलाकर इनकी पहचान करने का काम शुरू करेगी।

By Gautam Kumar MishraEdited By: JP YadavPublished: Tue, 22 Nov 2022 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 22 Nov 2022 08:08 AM (IST)
Delhi: दिल्ली पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद चकमा देकर 2 रोहिंग्या हुए गायब, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता
निगरानी के बावजूद दो रोहिंग्या लापता हो गए।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पश्चिम दिल्ली में विकासपुरी थाना पुलिस इन दिनों उन दो रोहिंग्या की तलाश में जुटी है, जो पुलिस की तमाम निगरानी को चकमा देकर फरार हो गए हैं। फॉरनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन आफिस (एफआरआरओ) की शिकायत पर इनके खिलाफ पुलिस ने 15 नवंबर को फारनर्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच का दायित्व इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को सौंपा गया है। वहीं, इन दो रोहिंग्या के गायब होने से सुरक्षा एजेंसियों की भी चिंता बढ़ गई है। 

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निगरानी के बावजूद दो रोहिंग्या लापता

दोनों कहां हैं और किस इरादे से फरार हुए हैं, इसे लेकर पुलिस उनके संपर्क में रह चुके लोगों से पूछताछ कर रही है। एफआरआरओ ने शिकायत में पुलिस को बताया है कि हसीना बेगम व अरफातुल्ला फरार हैं। एफआरआरओ के आदेश पर विकासपुरी के बुढेला में रोहिंग्या शरणार्थी समिति व दिल्ली पुलिस की निगरानी में रहते थे। तमाम निगरानी के बावजूद ये लापता हो गए। दोनों को संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त द्वारा एक कार्ड भी जारी किया गया था।

अचानक हुआ फरार और एफआरआरओ रहा बेखबर

नियम के मुताबिक स्थानीय पुलिस को इन पर नजर रखनी थी, लेकिन तमाम बंदिशों के बाद भी दोनों अपने पते से गायब हैं। इस प्रकरण में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। नियम के मुताबिक इनसे जुड़ी प्रत्येक गतिविधि का पता पुलिस को होना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। एफआरआरओ को इनके फरार होने का पता चला, लेकिन स्थानीय पुलिस को भनक नहीं लगी।

कई दिन बाद भी नहीं लगा सुराग

बीट आफिसर को इलाके की गतिविधियों के बारे में पता होना चाहिए, लेकिन मुख्य सड़क से अंदर गलियों में इनकी दृश्यता नहीं के बराबर रहती है। प्राथमिकी दर्ज हुए कई दिन गुजर चुके हैं, लेकिन दोनों का अब तक कोई सुराग नहीं लगा है। विकासपुरी के बुढेला में म्यांमार के नागरिक बड़ी संख्या में किराये के कमरे में रहते हैं। गांव वालों का कहना है कि वर्ष 2000 के आसपास यहां म्यांमार के लोगों का आना शुरू हुआ। धीरे-धीरे यहां यह तादाद बढ़ती चली गई है। इनमें से कई लोगों को शरणार्थी का दर्जा हासिल है।

संयुक्त राष्ट्र व अन्य संस्थाओं द्वारा ऐसे लोगों की मदद भी की जाती है, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां रोहिंग्या का आना भी शुरू हुआ है। बुढेला के लोगों का कहना है कि पुलिस को समय समय पर अभियान चलाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यहां कौन रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहा है। यदि कोई अवैध तरीके से रह रहा है तो उसकी पहचान सुनिश्चित हो और उसे डिपोर्ट किया जाए।

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