Climate Justice Library: दिल्ली के युवाओं ने किया कमाल, पर्यावरण से युद्ध में हथियार बन रही क्लाइमेट जस्टिस लाइब्रेरी
Climate Justice Library लाइब्रेरी के सहसंस्थापक व पेशे से डाक्यूमेंट्री फिल्ममेकर 27 वर्षीय विजय सहरावत ने बताया कि उन्हें बचपन से सुबह-शाम सैर करने का शौक था लेकिन वर्ष 2015 में अचानक स्वास्थ्य खराब हुआ और डाक्टर ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सैर करने से मना कर दिया।
नई दिल्ली [आशीष सिंह]। जलवायु परिवर्तन की समस्या से पूरा विश्व जूझ रहा है। प्रदूषण का दुष्प्रभाव बढ़ रहा है। सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलना कठिन होता जा रहा है। कहीं बेमौसम वर्षा से जनजीवन बेहाल होने की खबर आती है तो कहीं सूखे से। बड़े शहर हों या छोटे, पर्यावरण पर दुष्प्रभाव साफ दिखता है। जलवायु परिवर्तन से निपटने को सरकारी व निजी स्तर पर प्रयासों के बीच दिल्ली की श्रीजनी दत्ता और विजय सहरावत ने जागरूकता के लिए नवाचार किया है। इन दोनों ने एक ऐसी लाइब्रेरी खोली है जहां केवल जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित पुस्तकें और शोध पत्र रखे हैं। विश्व की इस विकराल समस्या के बारे में गहराई से जानने-समझने को लोग निरंतर इस लाइब्रेरी में आ रहे हैं।
युवा शक्ति को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानना जरूरी
ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर बीते नवंबर में हुए कांफ्रेंस आफ पार्टीज यानी काप-26 सम्मेलन में भाग ले चुकीं श्रीजनी का कहना है कि युवा शक्ति को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानना और समझना बहुत आवश्यक है। केवल सरकारी प्रयासों से हम जलवायु परिवर्तन को हराने की उम्मीद नहीं कर सकते। हम- सबको अपने स्तर पर भी छोटे-छोटे प्रयास करने होंगे और इसके लिए समस्या की भयावहता और इससे निपटने के तरीके जानने को अध्ययन करना बहुत आवश्यक है।
शहरों में हालात चिंताजनक
वायु प्रदूषण से देश के अधिकांश शहरों में हालात चिंतनीय हैं। हवा और जल दूषित हो गए हैं। दिल्ली में तो सर्दियों में हालात काफी खराब हो जाते हैं। जहरीली हवा के कारण स्कूल-कालेज तक बंद करने पड़ते हैं। आपात स्थिति जैसा माहौल हो जाता है। प्रदूषित यमुना नदी का कष्ट सब देख रहे हैं। कूड़े की ऊंची-ऊंची लैंडफिल साइट पर्यावरण संरक्षण को चुनौती दे रही हैं। प्रदूषण की लगातार गंभीर हो रही समस्या को किताबों के माध्यम से करीब से समझाने और इसके प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही यह अनूठी लाइब्रेरी खोली गई है।
लोगों को मिले गहन जानकारी
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की गहन जानकारी के साथ इसके निस्तारण-निवारण की जानकारी आमजन को भी मिल सके, इस सोच के साथ दक्षिणी दिल्ली-पार्ट टू में यह लाइब्रेरी स्थापित की गई है। यहां आपको वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण की राजनीति, पारिस्थितिकी और ऊर्जा जैसे विषयों पर 400 से अधिक पुस्तकें, पत्रिकाएं व शोध पत्र मिल जाएंगे।
हर शख्स को यहां मिलती है सीधी एंट्री
किताबों का यह संकलन जलवायु परिवर्तन के आज के हालात और भविष्य की चिंता यानी आने वाली पीढ़ी के लिए खतरनाक प्रदूषित वातावरण के खतरे को दर्शाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति इस लाइब्रेरी में अध्ययन कर सकता है। इसी वर्ष मार्च माह में शुरू हुई इस लाइब्रेरी में प्रतिदिन लगभग 50 छात्र व पर्यावरण प्रेमी पहुंच रहे हैं।
प्रदूषण के कारण सैर पर जाने से डॉक्टर ने किया मना
लाइब्रेरी के सहसंस्थापक व पेशे से डाक्यूमेंट्री फिल्ममेकर 27 वर्षीय विजय सहरावत ने बताया कि उन्हें बचपन से सुबह-शाम सैर करने का शौक था, लेकिन वर्ष 2015 में अचानक स्वास्थ्य खराब हुआ और डाक्टर ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सैर करने से मना कर दिया। जानलेवा हो रहे प्रदूषण के प्रति जीवन ने उन्हें सचेत किया और इससे लोहा लेने के लिए उन्होंने यूथ फार क्लाइमेट नाम से गैर सरकारी संस्था बनाई। इसके अंतर्गत ही इस लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है। अब तक 400 से अधिक लोग लाइब्रेरी आ चुके हैं। यहां आने वाले लोगों को संख्या बढ़ती जा रही है। विजय बताते हैं कि दोस्तों से भी पर्यावरण से संबंधित किताबों का सहयोग मिला है। अब छत्तीसगढ़ में भी जागरूकता के लिए बहुत जल्द ऐसी ही लाइब्रेरी की शुरुआत की जाएगी।
ऐसे आया लाइब्रेरी तैयार करने का आइडिया
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज की छात्रा व क्लाइमेट जस्टिस लाइब्रेरी की सहसंस्थापक 20 वर्षीय श्रीजनी दत्ता अपनी इस शुरुआत के उद्देश्य पर बताती हैं कि पर्यावरण पर चर्चा करने के लिए काप-26 सम्मेलन में ग्लासगो जाना था। तैयारी के लिए सीमित मात्रा में शोध पत्र व पर्यावरण से संबंधित जानकारी मिलने से परेशानी हुई। यहीं से यह लाइब्रेरी बनाने का विचार आया। वह कहती हैं कि प्रदूषण बढ़ने से उनके दो दोस्त अस्थमा पीड़ित हो गए हैं। इस कारण भी मन में विचार आया कि न जाने कितने लोगों को इस खराब होते पर्यावरण से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो रही होंगी। यह कारण भी लाइब्रेरी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के विचार के लिए एक आधार बना। परिवार का भी इसमें पूरा साथ मिल रहा है।
लाइब्रेरी सुबह 10 से शाम पांच बचे तक खुली रहती है। रविवार को अवकाश रहता है। इसमें अगर किसी को किताब व शोध पत्र घर लेकर जाना है, तो उन्हें प्रति माह 40 रुपये देने होंगे।
श्रीजनी ने बताया कि उनके पास लाइब्रेरी खोलने का तो विचार था, लेकिन इसके लिए धन कहां से आएंगा, यह पता नहीं था। हम इस समस्या के निदान के लिए कुछ लोगों के पास जाते थे, लेकिन कम उम्र का देखते हुए वह रुपये देने से मना कर देते। इसके बाद एक गैर सरकारी संगठन ने उन्हें अपने दफ्तर में लाइब्रेरी खोलने की जगह दी है। वह कहती हैं कि लोग अभी बिगड़ते पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं है, क्योंकि उनके पास इसके संबंध में गहन अध्ययन और जानकारी करने सीमित संसाधन हैं। हम इसी कमी को दूर करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अधिक से अधिक जलवायु परिवर्तन के कारण बिगड़ते पर्यावरण के कारणों व निवारणों के बारे में जानेंगे तो शायद धरती को बचाने की मुहिम जमीनी स्तर पर भी तेज होगी।
मुझे पर्यावरण से काफी लगाव है। इस लाइब्रेरी में आकर पर्यावरण से संबंधित काफी सामग्री पढ़ने व जानने-समझने को मिली है। सप्ताह में एक बार यहां जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर चर्चा भी होती है। उसमें शामिल होकर अच्छा लगता है। यह लाइब्रेरी मेरे कालेज के करीब है तो सुविधा रहती है।
याशना धुरिया, छात्रा, लेडी श्रीराम कालेज फार वुमन
मैं लंबे समय से पर्यावरण विषय पर कार्य कर रहा हूं। इस लाइब्रेरी के बारे में जब पता लगा तो यहां आने लगा। पहले मुझे पर्यावरण से संबंधित पुस्तकें खरीदकर पढ़नी पड़ती थीं। अब आराम से सभी किताबें निश्शुल्क पढ़ने को मिल रही हैं।
लक्ष्य, पर्यावरण प्रेमी