नई दिल्ली, एएनआई। दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान को दिल्ली के साकेत कोर्ट से झटका लगा है। साकेत कोर्ट ने शनिवार को उनकी जमानत याचिका खारिज को खारिज कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री ने आदेश पारित करते हुए कहा, "यदि कानून लागू करने वालों पर हमला और उनके साथ गाली-गलौज की जाती है और ऐसे में आरोपितों को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। मेरे विचार से, इन परिस्थितियों में आरोपित आसिफ मोहम्मद जमानत देने के लायक नहीं हैं और इसलिए उसकी अर्जी को बर्खास्त किया जाता है।"
अदालत ने आगे कहा, "मेरा विचार है कि प्राथमिकी में दिए गए कथन के अनुसार आरोपित ने शिकायतकर्ता सीटी धरमपाल का रास्ता रोका, जब वह उसकी मर्जी के बिना घटनास्थल से जा रहे थे, उन्हें धमकी दी, आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और जनता को उकसाने की कोशिश की, साथ ही शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक बल का इस्तेमाल किया गया है, जो आरोपित के कृत्य को आईपीसी की धारा 353 के दायरे में लाता है।"
अदालत ने कहा, " वीडियो में जिस तरह से वह पुलिस अधिकारियों के साथ बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं वह निंदनीय है। किसी व्यक्ति को सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जो भी कारण उपलब्ध हो सकता है, उससे यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह कानून को अपने हाथ में ले और सरकारी अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार और गलत व्यवहार करे।"
दिल्ली पुलिस के वकील ने याचिका का किया विरोध
अदालत में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित का आचरण सरकारी अधिकारियों पर हमला करने से जुड़ा रहा है और वर्तमान सहित तीन हालिया मामले लोक सेवकों को उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने के मामले में लंबित हैं।
बहस के दौरान आसिफ मोहम्मद की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा कि आरोपित को हिरासत में लेने के लिए उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था क्योंकि आरोपित पुलिस के खिलाफ सामाजिक मुद्दों को उठाता है और पुलिस आरोपित को हिरासत में रखने के बहाने पर अड़ी रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत के समक्ष आरोपित की गलत संलिप्तता या गैर-अद्यतन संलिप्तता रिपोर्ट दायर की गई है। यह देखते हुए कि अदालत ने आईपीसी की धारा 177 के तहत जांच अधिकारी और एसएचओ शाहीन बाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि क्यों न उन्हें आरोपित की पिछली संलिप्तता के बारे में अदालत को झूठी जानकारी देने के लिए दोषी ठहराया जाए और दंडित किया जाए।