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Delhi Riots Case: दिल्ली दंगा के एक मामले में 25 हजार जुर्माना लगाने के आदेश को पुलिस ने दी चुनौती

दिल्ली दंगा से जुड़े एक मामले की जांच और पुलिस डायरी में नियमों का पालन नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाते हुए 25 हज़ार का जुर्माना लगाने के कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 07:03 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:37 AM (IST)
Delhi Riots Case: दिल्ली दंगा के एक मामले में 25 हजार जुर्माना लगाने के आदेश को पुलिस ने दी चुनौती
निचली अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए लगाया था जुर्माना

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगा से जुड़े एक मामले की जांच और पुलिस डायरी में नियमों का पालन नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाते हुए 25 हज़ार का जुर्माना लगाने के कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। पुलिस ने दलील दी है कि निचली अदालत ने बिना आधार के कड़ी टिप्पणी की गई है। ये उचित नहीं है और इसे हटा दिया जाए। साथ ही उन पर लगाया गया जुर्माना भी हटाया जाए। कड़कड़डूमा कोर्ट में 14 जुलाई कहा था कि जांच बहुत ही लापरवाही ढंग से की गई है और पुलिस डायरी लिखने में नियमों का पालन नहीं किया गया है।

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इस मामले में एक अलग से रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साथ ही मामले में पुलिस आयुक्त को उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा था। अदालत ने यह फैसला दंगे में घायल एक व्यक्ति मोहम्मद नासिर के मामले में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए किया था। अदालत ने मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अपील को भी खारिज कर दिया था।

शिकायतकर्ता नासिर ने पुलिस से 19 मार्च को शिकायत की थी कि 24 फरवरी को दंगाइयों द्वारा चलाई गई गोली से वह घायल हो गया था। शिकायत पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं किया तो नासिर ने अदालत में वाद दाखिल किया था।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने अक्टूबर में पुलिस से उसकी शिकायत पर एक अलग से प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था और पुलिया ने इस आदेश को सत्र अदालत के समक्ष चुनौती दी थी। पुलिस ने कहा था कि इस घटना को लेकर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और इसमें शिकायतकर्ता के नाम का भी जिक्र किया गया है। उसने यह भी कहा था कि शिकायतकर्ता ने जो सात व्यक्तियों के नाम बताए हैं उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है।


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