VIDEO Delhi Politics: डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया- क्या है दोस्तवादी मॉडल, केंद्र सरकार कैसे कर रही इस्तेमाल
Delhi Politics भाजपा आम आदमी पार्टी की कल्याणकारी योजनाओं का यह कहकर मजाक उड़ा रहे हैं कि यह रेवड़ी है और दोस्तवाड़ी मॉडल है। वे एक भी किसान का कर्ज नहीं माफ करेंगे। इस मॉडल के तहत वे छात्रों को मुफ्त सरकारी शिक्षा देने में विश्वास नहीं करते।
नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है। रेवड़ी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जनता की कल्याणकारी योजनाओं को ये नाम दिया जा रहा है। आम लोगों को सिर्फ वोट के समय ही वायदे करके भूल जाना ही राजनीति रही है। जबकि हमारी पार्टी जो कहती है उसे कर रही है। इससे अन्य दलों को नुकसान हो रहा है। हम जो वायदा करते हैं उसे पूरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ जनता के टैक्स के पैसे को दोस्तों के लाखों करोड़ों के लोन और टैक्स माफ करने पर खर्च किया जा रहा है और दूसरी तरफ जनता के टैक्स के पैसे को करोड़ों लोगों के वेलफेयर पर खर्च किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम जनता के लिए बनी जनकल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी कहकर उनका मज़ाक बनाने की एक नई राजनीति देखने को मिल रही है। सरकार के केवल दो मॉडल हैं।
Modi का "दोस्तवादी" Model
➡️दोस्तों के 10 लाख करोड़ के Loan और 5 Lakh Crore का Tax माफ़
लेकिन-
➡️किसान अपनी Loan की किश्त न दे पाए, तो ज़मीन छीन लेते हैं
➡️बच्चा Fees ना दे पाए, तो उसे Private School से निकाल देते है
➡️Pvt Hospital का Bill ना दे पाए तो लाश नहीं देते
—@msisodia pic.twitter.com/Wq8kZLFN3l— AAP (@AamAadmiParty) August 12, 2022
जनता ने समर्थन दिया तो हम अपने वायदे पूरे कर रहे हैं। आम लोगों को एक तय चीज तक बिजली और पानी फ्री मिल रहा है। स्कूल और मेडिकल की सुविधाएं मिल रही है। वे (भाजपा) स्कूलों और अस्पतालों को इस हद तक बर्बाद करने में विश्वास करते हैं कि लोग निजी स्कूलों और अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर हैं, जो ज्यादातर उनके दोस्तों के हैं। एक बार जब गरीब लोग शुल्क का भुगतान करने में विफल होते हैं, तो इन निजी संस्थानों के द्वार उनके लिए बंद कर दिए जाते हैं।
भाजपा आम आदमी पार्टी की कल्याणकारी योजनाओं का यह कहकर मजाक उड़ा रहे हैं कि यह 'रेवड़ी' है और 'दोस्तवाड़ी' मॉडल है। वे एक भी किसान का कर्ज नहीं माफ करेंगे। इस मॉडल के तहत, वे छात्रों को मुफ्त सरकारी शिक्षा देने में विश्वास नहीं करते।