CAB Delhi Protest: दिल्ली पुलिस के रडार पर हैं जामिया के आसपास रहने वाले 750 पूर्व छात्र
CAB Delhi Protest अब तक की जांच पड़ताल में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे हैं जिसमें पूर्व छात्रों की हिंसा में संलिप्तता की आशंका पैदा हो गई है।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। जामिया नगर इलाके में रविवार को उपद्रव करने के मामले में दिल्ली पुलिस की रडार पर जामिया मिल्लिया के 750 पूर्व छात्र भी आ गए हैं। अब तक की जांच पड़ताल में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें पूर्व छात्रों की हिंसा में संलिप्तता की आशंका पैदा हो गई है। ऐसे छात्रों की पहचान करने के लिए पुलिस ने जामिया प्रशासन से पूर्व छात्रों की जानकारी मांगी है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कई पूर्व छात्रों के शामिल होने का शक है। दरअसल उपद्रव कर रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने जब न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी व सराय जुलेना इलाके से खदेड़ा तो यह लोग जामिया के अंदर घुस गए थे। इसके बाद अंदर से पुलिसकर्मियों पर घंटो ईंट, पत्थर, ट्यूब लाइट व बोतलें फेंकते रहे थे। घटना के बाद पुलिस के आला अधिकारियों की जब विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ बातचीत हुई, तब सामने आया कि हिंसा में जामिया के स्टूडेंटस शामिल नहीं थे। बाहरी तत्वों ने विश्वविद्यालय के अंदर घुसकर पुलिसकर्मियों पर हिंसक पथराव किया है। पुलिस को जांच में पता लगा कि जामिया के करीब 750 ऐसे पूर्व छात्र हैं, जिनका विश्वविद्यालय से कोई लेना देना नहीं है। उनके पास पुराने पहचान पत्र भी हैं, जिन्हें उन्होंने लौटाया नहीं है। वे अब जामिया के विभिन्न इलाकों में रहते हैं। पहचान पत्र होने के कारण वे आसानी से अंदर आ जाते हैं। पहचान पत्र होने के कारण सुरक्षाकर्मी उन्हें रोक नहीं पाते हैं।
पुलिस अधिकारी ने जामिया प्रशासन से कहा है कि वे उक्त पूर्व छात्रों के नाम व पते बताएं, जिससे सभी की जांच की जा सके कि वे उपद्रव में शामिल थे अथवा नहीं? पुलिस अधिकारी ने जामिया प्रशासन से ये भी कहा कि यदि ऐसे छात्र हैं तो उनके खिलाफ जामिया नगर थाने में शिकायत दर्ज कराएं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि यह गंभीर मसला है। जामिया प्रशासन को पूर्व छात्रों के पास से पहचान पत्र वापस ले लेना चाहिए।
अधिकारी बोले, युवतियों को बचाने के लिए पुलिस जामिया मिल्लिया में घुसी थी
पुलिस अधिकारी का कहना है कि रविवार को भीषण पथराव के दौरान जामिया इलाके में रहने वाली कई युवतियां जान बचाने के मकसद से विश्वविद्यालय के अंदर छात्रवासों में घुस गई थीं। स्थानीय लोगों ने उन्हें बचाने की गुहार लगाई थी। इस पर पुलिस जामिया के अंदर घुसी और उन युवतियों को बचाने का प्रयास किया गया। जामिया प्रशासन द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं।