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इस शातिर ने CBI के रिटायर्ड अधिकारी को लगाया चूना, गिरफ्तारी के बाद हुआ बड़ा खुलासा

झारखंड के निरसा जंगल में कॉल सेंटर चलाकर लोगों से ठगी करने वाले को उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 02:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 02:32 PM (IST)
इस शातिर ने CBI के रिटायर्ड अधिकारी को लगाया चूना, गिरफ्तारी के बाद हुआ बड़ा खुलासा
इस शातिर ने CBI के रिटायर्ड अधिकारी को लगाया चूना, गिरफ्तारी के बाद हुआ बड़ा खुलासा

नई दिल्ली, जेएनएन। झारखंड के निरसा जंगल में कॉल सेंटर चलाकर लोगों से ठगी करने वाले को उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान मिथुन कुमार (25) के रूप में हुई है। यह बदमाश ज्योति नगर थाना में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में वांछित था। यह देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले 100 से अधिक लोगों को शिकार बना चुका है।

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पुलिस को इसके एक दर्जन से ज्यादा ई-वॉलेट अकाउंट मिले है। मिथुन ई-वॉलेट अकाउंट का इस्तेमाल कर पीड़ितों के बैंक खाते से रुपये निकालने के लिए करता था। सभी अकाउंट फर्जी आईडी पर बने हुए हैं। पुलिस बदमाश से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।

पुलिस के अनुसार, सीबीआइ के सेवानिवृत्त अधिकारी सुखबीर सिंह ने ज्योति नगर थाना में शिकायत दी थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि कॉल करने वाले ने बताया कि बैंक ने उनका अकाउंट बंद कर दिया है। कॉल करने वाले ने उनके मोबाइल फोन पर एक ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भेजा। उन्होंने आरोपित को ओटीपी नंबर के बारे में बताया, उसके थोड़ी देर बाद ही अकाउंट से दो लाख रुपये निकलने का मैसेज उनके फोन पर आया। पुलिस ने केस दर्ज कर टीम का गठन किया।

पुलिस को पता चला कि ई-वॉलेट के जरिये रुपये ट्रांसफर किए जाते थे। ई-वॉलेट के नंबर की जानकारी मिलने पर पता चला वह नंबर धनबाद सर्कल का है। इस दौरान पुलिस को सूचना मिली कि आरोपित मिथुन कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने दिल्ली आया है। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना मिलने पर उसे दबोच लिया। उसने बताया कि उसके दो अन्य साथी मुकेश प्रसाद और अजय शर्मा भी इस गिरोह में शामिल हैं। पुलिस उन दोनों की भी तलाश कर रही है।

कस्टमर केयर अधिकारी बता करता था ठगी: पुलिस को जांच में पता चला है कि आरोपित ने फर्जी दस्तावेजों से लैपटॉप और सिम कार्ड खरीद रखे हैं। वह खुद को कस्टमर केयर अधिकारी बताकर लोगों से बात करता था। बाद में उन्हें बातों में फंसाकर उनसे ओटीपी जान लेता था। इसके बाद वह उनके अकाउंट से रुपये ट्रांसफर कर लेता था। गिरोह ने दिल्ली-एनसीआर के अलावा मुंबई, बंगलुरू और हैदराबाद में लोगों को निशाना बनाया था।

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