केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस और AAP में रार बरकरार, भारद्वाज ने कहा- गुमराह कर रहे अजय माकन
दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और तैनाती को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच रार बरकरार है। सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता अजय माकन पर जमकर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि माकन भाजपा की बैटिंग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। अधिकारियों के तबादले और तैनाती के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में रार बरकरार है। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता अजय माकन पर जमकर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि माकन भाजपा की बैटिंग कर रहे हैं। उन्होंने प्रेस वार्ता कर कहा कि 11 सितंबर 2002 को कांग्रेस की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव लाई थीं।
माकन लोगों को कर रहे गुमराह- सौरभ
प्रस्ताव कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पास किया था। माकन ने विधानसभा में कहा था कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ही सरकार है। उन्होंने अन्य प्रदेश के बराबर ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्ति बताई थी। उनका भाषण आज भी विधानसभा में मौजूद है। उन्होंने कहा कि अजय माकन लोगों को गुमराह कर रहे हैं और भाजपा का साथ दे रहे। उन्होंने माकन को सलाह दी कि वह अपने नेता राहुल गांधी को तो गुमराह न करें। माकन जनता के बीच में जाएं और चर्चा करें, लोग बताएंगे कि अध्यादेश सही है या गलत।
भारद्वाज ने कहा कि एक तरफ जहां कांग्रेस की प्रदेश इकाई सेवा विभाग के मुद्दे पर आप को समर्थन देने से इंकार कर रही है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पूर्व में केंद्र सरकार के आदेशों की निंदा की थी और कहा था कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। उन्होंने केंद्र के खिलाफ 2002 में दिल्ली विधानसभा में इसी तरह का एक प्रस्ताव पारित किया था क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वे दिल्ली सरकार को मान्यता नहीं देते हैं और दिल्ली में केवल एक ही सरकार हो सकती है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस जो कर रही है, वह अवसरवादी राजनीति है और वह भाजपा के लिए काम कर रही है। कांग्रेस के ऐसे नेताओं के बयान आ रहे हैं, जिन्हें पार्टी ने दरकिनार कर दिया है।
अजय माकन ने रखा पक्ष
दूसरी तरफ अजय माकन ने कहा कि उन्होंने यह कभी दावा नहीं किया कि शीला दीक्षित ने पूर्ण राज्य का दर्जा का अधिकार नहीं मांगा। इस मामले में उनका कहना है कि केजरीवाल चाहते हैं कि उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त हो जो उनके पहले के मुख्यमंत्रियों शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज में से किसी को नहीं मिला था।
अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं। दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश के विषय पर केजरीवाल का समर्थन करने का मतलब पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं के उन विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ खड़ा होना होगा जो उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के संदर्भ में कभी लिए थे।