दिल्ली में नालों व एसटीपी का दुर्गंध रोकने को लगाए जाएंगे अत्याधुनिक संयंत्र: सत्येंद्र जैन
दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को जल बोर्ड और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर यमुना सफाई से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने निर्माणाधीन सीवरेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के कार्य की जानकारी ली।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को जल बोर्ड और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक कर यमुना सफाई से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने निर्माणाधीन सीवरेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के कार्य की जानकारी ली। साथ ही उन्होंने जल बोर्ड व और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को एसटीपी व बड़े नालों से आने दुर्गंध को रोकने के लिए प्राथमिकता के आधार पर अत्याधुनिक संयंत्र लगाने का निर्देश दिया। ताकि आसपास के लोगों को दुर्गंध से परेशानी न होने पाए। उन्होंने कहा कि एसटीपी में जैविक गंध नियंत्रण संयंत्र व नालों में फ्लोटिंग एयररेटर सिस्टम लगाए जाएंगे।
उन्होंने जल बोर्ड के अधिकारियों को यमुना की सफाई से जुड़ी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा कि कई लोग कहते हैं कि यमुना को साफ नहीं किया जा सकता है लेकिन लगन, कड़ी मेहनत और लगातार प्रयास से यमुना को साफ किया जा सकता है। उन्होंने एक बार फिर यमुना को स्वच्छ बनाने की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि निर्माणाधीन एसटीपी का कार्य तेजी से समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चहिए। ताकि यमुना को जल्द स्वच्छ बनाया जा सके।
उन्होंने नए एसटीपी के कार्य की प्रगति के साथ-साथ मौजूदा एसटीपी को बेहतर बनाने का जल बोर्ड को निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सीवरेज शोधन की क्षमता दोगुना करने के लिए कार्यों को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाना चाहिए। यह यमुना की सफाई के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि नालों के प्रबंधन से जुड़े सभी कार्यों की प्रमुख जिम्मेदारी सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की है। शहर की जल निकासी व्यवस्था को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए राजधानी के सभी नालों को ड्रेनेज मास्टर प्लान के तहत बेहतर बनाया जाएगा। इसके अलावा नालों में एयरेटर सिस्टम लगाए जाएंगे।
सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एयरेटर सिस्टम ऐसा उपकरण होता है जो वातावरण से आक्सीजन लेकर चेंबर के जरिये प्रदूषित पानी में मिलाया जाता है। इससे नाले के पानी में प्रदूषक तत्व नष्ट होते हैं और पानी में आक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे पानी साफ होता है। इस वजह से दुर्गंध भी कम होता है।