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इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, दो जगहों इसकी खूबसूरती में लगा दाग

एक्सप्रेस-वे के पहले चरण में ट्रैफिक इंजीनियरिंग का बखूबी इस्तेमाल किया गया है, लेकिन एक जगह जहां मेट्रो पिलर डिवाइडर से काफी आगे तक है, वहीं फ्लाईओवर के साइड में बना फुटपाथ कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है।

By Edited By: Published: Sat, 26 May 2018 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 11:18 AM (IST)
इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, दो जगहों इसकी खूबसूरती में लगा दाग
इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना है दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, दो जगहों इसकी खूबसूरती में लगा दाग

नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। सौर ऊर्जा का बेहतर प्रयोग कर और वर्टिकल गार्डन बनाकर मेरठ एक्सप्रेस-वे को ग्रीन एक्सप्रेस-वे बनाया गया है। चकाचक रोड से यात्रा करते समय फव्वारे और जगह-जगह उकेरी गईं कलाकृतियां सुखद अहसास कराती हैं। एक्सप्रेस-वे के पहले चरण में ट्रैफिक इंजीनियरिंग का बखूबी इस्तेमाल किया गया है, लेकिन मयूर विहार फेज दो के पास दो जगहों पर इस खूबसूरती में दाग भी है।

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फ्लाईओवर के साइड में बना फुटपाथ

एक जगह जहां मेट्रो पिलर डिवाइडर से काफी आगे तक है, वहीं फ्लाईओवर के साइड में बना फुटपाथ कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है। दैनिक जागरण में इस फुटपाथ से संभावित खतरे को देखते हुए खबर प्रकाशित की तो यहां पहले रिफ्लेक्टर लगाए गए, फिर इंटरलॉकिंग टाइल्स भी हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो सका है।

दो पिलरों के बीच दूरी कम

यहां से थोड़ा आगे बढ़ते ही मेट्रो का पिलर है। यह पिलर डिवाइडर से काफी आगे निकला हुआ है। कुछ जगहों पर मेट्रो के दो पिलरों के बीच दूरी 90 मीटर से भी अधिक तक है, लेकिन यहां दो पिलरों के बीच दूरी कम है, जिससे यह सड़क के बीच में पड़ रहा है। हालांकि, पिलर से कोई नहीं टकराए, इसलिए रास्ते में थोड़ा टर्न दिया गया है।

पहले चरण का काम हुआ पूरा 

सराय काले खां से यूपी गेट के बीच करीब साढ़े आठ किलोमीटर में पहले चरण का काम हुआ है। इसमें छह लेन का मेरठ एक्सप्रेस-वे बीच में है और आठ लेन की सड़क स्थानीय यातायात के लिए है। ऐसे यह 14 लेन की सड़क है, लेकिन कई जगहों पर 16 लेन की सड़क हो जाती है। लेन की चौड़ाई भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार अधिक रखी गई है। सड़क चौड़ी होने की वजह से एक्सप्रेस-वे के दो एक्जिट प्वाइंट अक्षरधाम मंदिर और यूपी गेट के पास भी सवारियों को सहूलियत होती है।

ऐसी है खासियत

यातायात के जानकार बताते हैं कि पहले से बने फ्लाईओवरों को खूबसूरती से जोड़ा गया है। आमतौर पर पहले एक फ्लाईओवर के बराबर में अगर दूसरा फ्लाईओवर बनता था तो दोनों फ्लाईओवरों के बीच गैप छोड़ दिया जाता था, जो हादसों का सबब बनता था। एनएच-9 को जब आठ लेन का किया गया था तो इस तरह की खामियां कई जगहों पर थीं, लेकिन इस बार फ्लाईओवरों को खास तरह जोड़ा गया है और एनएच-9 से बाहर निकलने के लिए इस तरीके से कट बनाए गए हैं कि दुर्घटना का खतरा नहीं रहेगा। पहले चरण में पांच फ्लाईओवर और यमुना नदी पर दो पुल बनाए गए हैं। इन सभी को पहले से बनाए गए पुल व फ्लाईओवर से इस तरह जोड़ा गया है कि यह पता ही नहीं चलता है कि कौन सा हिस्सा पहले का और कौन बाद का है।

यू-टर्न से राह आसान

मयूर विहार और खिचड़ीपुर में मुख्य अंडरपास के अलावा दो-दो अंडरपास यू-टर्न के लिए बनाए गए हैं, जिससे वाहन चालक आसानी से एनएच पर जिस दिशा में जाना चाहेंगे, उधर बढ़ सकेंगे।

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