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Delhi Medical News: आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने की लेडी हार्डिंग में ओपीडी स्थानांतरित करने की मांग

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज प्रशासन को जारी किया आदेश सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा शुरू होने से पहले आदेश पर अमल मुश्किल

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 01:52 PM (IST)
आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने लेडी हार्डिग की ओपीडी स्थानांतरित करने की मांग की है।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। केंद्र सरकार के लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) के आर्थोपेडिक, मेडिसिन और सर्जरी की ओपीडी दशकों से राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में भी चलती है, लेकिन इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। अब एलएचएमसी में नया ओपीडी और आइपीडी ब्लाक शुरू होने के बाद आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने लेडी हार्डिग की ओपीडी स्थानांतरित करने की मांग की है।

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इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 जून को आदेश जारी कर आरएमएल में दशकों से चल रही लेडी हार्डिग के विभागों की ओपीडी को एलएचएमसी में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।आरएमएल प्रशासन चाहता है कि अस्पताल के ब्लाक में चल रही लेडी हार्डिग की ओपीडी जल्द स्थानांतरित हो, ताकि जगह खाली होने पर वहां दूसरी सुविधाओं की शुरुआत की जा सकेगी। वहीं, एलएचएमसी प्रशासन का कहना है कि पहले चरण की विस्तार परियोजना पूरी होने तक आरएमएल अस्पताल की मांग पर अमल कर पाना आसान नहीं है। बहरहाल, आरएमएल अस्पताल में एलएचएमसी के तीन विभागों की ओपीडी चलने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।

दरअसल, 106 साल पुराने इस मेडिकल कालेज में वर्ष 1916 में पहली बार महिलाओं के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हुई। तब यह पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इस मेडिकल कालेज से जुड़े सुचेता कृपलानी अस्पताल में सिर्फ महिलाओं के इलाज की सुविधा थी। पंजाब विश्वविद्यालय से जुड़े होने के कारण आजादी के बाद भी कुछ साल तक इस कालेज की छात्राओं को अंतिम वर्ष की परीक्षा के लिए लाहौर (पाकिस्तान) जाना पड़ता था। वहां उन्हें पुरुष मरीजों को देखना पड़ रहा था। इससे उन्हें परेशानी होती थी। इसके मद्देनजर छात्राओं के बेहतर प्रशिक्षण के लिए दिल्ली में ही पुरुष मरीजों को देखने का प्रविधान किया गया। इसी क्रम में वर्ष 1958 में कलावती सरन बाल चिकित्सालय अस्पताल शुरू हुआ।

कालेज प्रशासन का कहना है कि एलएचएमसी के बजट से आरएमएल में पांच मंजिला भवन बनाया गया, क्योंकि उस वक्त आरएमएल महज 60 बेड का एक छोटा अस्पताल था। नए भवन में एलएचएमसी की छात्राओं के प्रशिक्षण के लिए आरएमएल अस्पताल में आर्थोपेडिक विभाग की एक और मेडिसिन और सर्जरी विभाग की दो-दो यूनिट शुरू की गई। ऐसे में एलएचएमसी से तीन अस्पताल जुड़ गए। बाद में वर्ष 2008 में आरएमएल में ही मेडिकल स्नातकोत्तर का कालेज बन गया और वर्ष 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो गई।

इसके अलावा आरएमएल में दिल, न्यूरो, लिवर और किडनी से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा विकसित हो गई, लेकिन एलएचएमसी में अभी सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा है। सुपर स्पेशियलिटी सुविधा शुरू होने तक एलएचएमसी प्रशासन अपनी यूनिट आरएमएल से स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं है। एलएचएमसी के निदेशक डा. रामचंद्र ने कहा कि एलएचएमसी द्वारा सुविधाएं विकसित करने से आरएमएल मेडिकल कालेज बना।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के दिशानिर्देश के अनुसार एमएस (मास्टर आफ सर्जरी) की पढ़ाई करने वाले छात्रों को कार्डियक थोरेसिक, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और न्यूरो सर्जरी की भी जानकारी होना जरूरी है। एलएचएमसी की विस्तार परियोजना के दूसरे चरण में सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक बनना है। सरकार को बता दिया है कि अभी पहले चरण का ही काम पूरा नहीं हो पाया है। फिर भी एक साल में सुपर स्पेशियलिटी कोर्स शुरू होने की उम्मीद है। तब आरएमएल में अपनी यूनिट बंद कर दी जाएगी।


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