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झटकाः प्रदूषण नियंत्रण के मामले में केरल सबसे ऊपर, दिल्ली रहा फिसड्डी

सीपीसीबी के मुताबिक दिल्ली में आबादी और वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ रहा है। हरियाली की कीमत पर यहां भवन निर्माण व औद्योगिकीकरण भी नहीं थम रहा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 06 Jan 2017 08:07 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jan 2017 09:43 PM (IST)
झटकाः प्रदूषण नियंत्रण के मामले में केरल सबसे ऊपर, दिल्ली रहा फिसड्डी

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसी) राजधानी में प्रदूषण पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा पा रहा है। बोर्ड भी मानता है कि दिल्ली देश का सर्वाधिक प्रदूषित राज्य है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण के मामले में केरल सबसे ऊपर है और यह देश का सबसे कम प्रदूषित राज्य है। असम की स्थिति भी अपेक्षाकृत बेहतर है। हालांकि इस हालात के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं।

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यह हैं प्रमुख कारण

सीपीसीबी के मुताबिक दिल्ली में आबादी और वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ रहा है। हरियाली की कीमत पर यहां भवन निर्माण व औद्योगिकीकरण भी नहीं थम रहा। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। दिल्ली का मौसम भी इसके लिए कम दोषी नहीं है।

यहां की भौगोलिक स्थितियां ऐसी हैं कि यहां हवा की गति आमतौर पर एक मीटर प्रति सेकेंड तक रहती है। जबकि वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए हवा की गति 6 से 10 मीटर प्रति सेकेंड तक होनी चाहिए।केरल के मल्लापुरम और असम के तेजपुर जैसे शहरों में प्रदूषण बहुत कम है तो इसकी प्रमुख वजह वहां वाहनों की संख्या कम और हरियाली का ज्यादा होना है।

शहरीकरण और औद्योगिकीकरण भी यहां काफी कम है। यहां हवा की गति 8 से 10 मीटर प्रति सेकेंड तक रहती है। इससे वायु प्रदूषण उड़ जाता है। सीपीसीबी द्वारा वायु प्रदूषण की रोक थाम के लिए किसी भी राज्य को वहां की परिस्थितियों के अनुरूप ही दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं। जिस राज्य को जो उपाय सुझाए जाते हैं, उन पर अमूमन काम हो जाता है।

रिमाइंडर पत्र भेजने अथवा कार्रवाई करने की स्थिति पैदा नहीं होती। वहीं काफी समय पहले सीपीसीबी ने उत्तर प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कुछ निर्देश जारी किए थे, लेकिन उन पर काम नहीं किया गया। सीपीसीबी ने नाराज होकर उनसे काम छीन लिया और उसे खुद किया। हालांकि बाद में राज्य बोर्ड को फिर से अधिकार लौटा दिए गए थे।


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