गुरुग्राम के घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट बढ़ा रहे हैं नजफगढ़ झील में प्रदूषण, एलजी ने उठाया सफाई का बीड़ा
दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बनी नजफगढ़ झील के कायाकल्प के तरीके तलाशने को लेकर एलजी वीके सक्सेना ने उच्च स्तरीय बैठक की। एलजी ने नजफगढ़ झील में लगभग 110 एमजीडी घरेलू और औद्योगिक कचरे के निर्वहन को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। नजफगढ़ ड्रेन और यमुना नदी के बाढ़ग्रस्त मैदानों के बाद अब एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित नजफगढ़ झील की सफाई का बीड़ा उठाया है। इस झील के कायाकल्प के तरीके तलाशने के लिए बुधवार को उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक भी की। विश्व जल दिवस पर हुई इस बैठक में सामने आया कि नजफगढ़ झील में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में गुरुग्राम से भारी मात्रा में आने वाले घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट भी शामिल हैं।
नजफगढ़ झील का कायाकल्प यमुना सफाई कार्य का हिस्सा
एनजीटी के नौ जनवरी के निर्देशों के अनुसार, एलजी की देखरेख में नजफगढ़ झील का कायाकल्प यमुना सफाई कार्य का ही हिस्सा है। विशेष रूप से नजफगढ़ ड्रेन को साफ करने के निरंतर प्रयासों ने वजीराबाद में पानी की गुणवत्ता में ध्यान देने योग्य सुधार के साथ पहले ही परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है। इसी तरह, कुदसिया घाट पर यमुना सफाई अभियान से भी पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
यमुना नदी के बाढ़ प्रभावित मैदान के पुनर्विकास के हिस्से के रूप में सराय काले खां के पास असिता पूर्व और बांसेरा में सौंदर्य की दृष्टि से दो हरे-भरे स्थान विकसित किए गए हैं, जबकि शास्त्री पार्क से गढ़ी मांडू तक 11 किलोमीटर बाढ़ प्रभावित मैदान की बहाली और कायाकल्प मंगलवार को शुरू किया गया था।
दिल्ली-हरियाणा के बीच समन्वय का आह्वान
बैठक के दौरान एलजी ने नजफगढ़ झील में लगभग 110 एमजीडी घरेलू और औद्योगिक कचरे के निर्वहन को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया। एलजी ने इसके समाधान के लिए दिल्ली और हरियाणा के बीच निर्बाध अंतरराज्यीय समन्वय का आह्वान किया।
उन्होंने गुरुग्राम प्रशासन से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि केवल उपचारित अपशिष्ट ही झील में छोड़ा जाए। गुरुग्राम के अधिकारियों ने एलजी को सूचित किया कि जनवरी 2024 तक 100 प्रतिशत सीवेज उपचार पर काम पूरा हो जाएगा।
रणनीति बनाने का निर्देश
अधिकारियों ने बताया कि आर्द्रभूमि का बड़ा हिस्सा हरियाणा के अधिकार क्षेत्र में आता है, जबकि दिल्ली क्षेत्र में आर्द्रभूमि बिखरी हुई है। लिहाजा, झील को बड़ी आर्द्रभूमि के बजाय छोटे जल निकायों के समूह के रूप में पुनर्जीवित करने की योजना बनाई गई थी। इसके पीछे का मुख्य कारण भूमि उपलब्धता की कमी भी रही। एलजी ने अधिकारियों को नजफगढ़ झील को पुनर्जीवित करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति बनाने का भी निर्देश दिया।
दिल्ली को फिर से ‘झीलों का शहर’ बनाने की हुई घोषणा
प्रदूषण व जाम से जूझते दिल्लीवासियों के लिए खुशखबरी है। सरकार के वित्तमंत्री कैलाश गहलोत ने बजट पेश करते हुए कहा कि दिल्ली में 20 बड़ी झीलों को फिर से अस्तित्व में लाया जाएगा। हालांकि दिल्ली सरकार पहले भी ये बात बजट सत्र में ही कह चुकी है। इसलिए बड़ी बात ये होगी कि झीलों के शहर बनने की दिशा में दिल्ली कितनी आगे बढ़ेगी, ये देखना होगा।
वर्ष 2022-23 के बाद अब वर्ष 2023-24 के बजट में भी दिल्ली को ‘झीलों का शहर’ बनाने की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने बजट भाषण में विधानसभा में दावा किया कि आप सरकार दिल्ली की 20 बड़ी झीलों को पुनर्जीवित करने का काम इसी वर्ष पूरा कर लेगी। द्वारका एसटीपी में बनाई गई झीलों ने साल भर की छोटी सी अवधि के भीतर ही भूजल स्तर में 5.5 मीटर की वृद्धि दर्ज की है। इन झीलों को जनता के लिए खुले स्थान पर विकसित किया जाएगा और यहां मनोरंजन व पर्यटन के अवसर भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
हैरत की बात यह है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी दिल्ली को ‘झीलों का शहर’ बनाने की बात कही थी। योजना पर 750 करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय का अनुमान भी लगाया गया था, लेकिन साल भर बाद स्थिति कमोबेश वही है। गौरतलब है कि दिल्ली स्टेट वेटलैंड अथारिटी (डीएसडब्ल्यूए) ने जीयो टैगिंग के जरिए राजधानी के 1043 जलाशयों की पहचान की है।