दिल्ली के एलजी ने LARR प्राधिकरण में नामित पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति को दी मंजूरी
एलजी वीके सक्सेना ने अतिरिक्त तीस हजारी न्यायालय के जिला न्यायाधीश (एडीजे)-2 (पश्चिम) को पीठासीन अधिकारी के तौर पर नामित करने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। एलएआरआर प्राधिकरण के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर इनमें पीठासीन अधिकारी को शामिल करने की बात कही गई थी।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एलजी वीके सक्सेना ने अतिरिक्त तीस हजारी न्यायालय के जिला न्यायाधीश (एडीजे)-2 (पश्चिम) को पीठासीन अधिकारी के तौर पर नामित करने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। उचित मुआवजे के अधिकार और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पारदर्शिता एवं स्थानांतरगमन अधिनियम 2013 के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने इसकी सिफारिश की थी। एलएआरआर प्राधिकरण के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर इनमें पीठासीन अधिकारी को शामिल करने की बात कही गई थी।
अधिनियम के मुताबिक एलएआआर प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी के तौर नियुक्ति के लिए जिला न्यायाधीश होने या एक कानूनी पेशेवर के तौर पर न्यूनतम सात वर्ष का अनुभव अनिवार्य है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है, जहां प्राधिकरण स्थापित करने का प्रस्ताव है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवादों के त्वरित निस्तारण और मुआवजा, पुनर्वास के उद्देश्य से एक जनवरी, 2014 से आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम को लागू किया गया है।
31 मार्च, 2016 को पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति संबंधी नियमों को अधिसूचित किया गया था। इसके लिए चयन समिति में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (राजस्व), सचिव (कानून) और सचिव (आई एंड बी) को शामिल किया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से चयन समिति ने उपराज्यपाल को एलएआरआर प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की गई थी।
इससे पहले जनवरी, 2023 में उपराज्यपाल ने भवन निर्माण विगाग के पीठासीन अधिकारी के तौर नियुक्ति की सिफारिश को मंजूरी दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के 26 अप्रैल के पत्र में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों की सिफारिशों से अवगत कराते हुए भवन निर्माण विभाग को एडीजे-2 (पश्चिम), तीस हजारी न्यायालयों को पीठासीन अधिकारी, एलएआरआर के रूप में नामित करने का प्रस्ताव भेजा था।