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Delhi Kidney News: जानिए किस वजह से बढ़ रही किडनी की खरीद-फरोख्त, क्या है इसके पीछे का बड़ा कारण

Delhi Kidney News- देश के विभिन्न हिस्सों में किडनी रैकेट के मामले सामने आते रहते हैं। इसका कारण यह है कि करीब चार लाख मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत है जबकि हर साल सिर्फ करीब दस हजार मरीजों की ही किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी हो पाती है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2022 02:14 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2022 02:14 PM (IST)
कड़े कानून होने के बावजूद पहले की तुलना में अब अधिक रकम पर किडनी की खरीद-बिक्री होती है।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Delhi Kidney News- राजधानी में बड़े किडनी रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद एक बार फिर किडनी की खरीद-फरोख्त और अंग प्रत्यारोपण की व्यवस्था पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। डाक्टर कहते हैं कि देश में किडनी के मरीजों की संख्या अधिक और अंगदान कम होने के कारण किडनी खरीद-फरोख्त का रैकेट चल रहा है। इसको लेकर कड़े कानून होने के बावजूद पहले की तुलना में अब अधिक रकम पर किडनी की खरीद-बिक्री होती है। लिहाजा डाक्टर कैडेवर डोनर (ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान) किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा बढ़ाने की जरूरत बता रहे हैं।

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एम्स के नेफ्रोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल ने कहा कि इससे पहले भी देश के विभिन्न हिस्सों में किडनी रैकेट के मामले सामने आते रहते हैं। इसका कारण यह है कि करीब चार लाख मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत है, जबकि हर साल सिर्फ करीब दस हजार मरीजों की ही किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी हो पाती है। इसमें भी कैडेवर डोनर प्रत्यारोपण बहुत कम होता है।

इसका कारण यह है कि डोनर उपलब्ध नहीं हो पाते। जीवित व्यक्ति के किडनी दान करने के लिए भी स्वस्थ होना जरूरी है। ज्यादातर मरीजों के बुजुर्ग माता-पिता स्वास्थ्य कारणों से किडनी दान नहीं कर पाते। भाई-बहन और परिवार के अन्य सदस्य जल्दी किडनी दान नहीं करना चाहते। पुरुष मरीजों को ज्यादातर पत्नियां ही किडनी देती हैं।

मरीज महिला हो तो डोनर की समस्या और बढ़ जाती है। इस वजह से डोनर मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में किसी गैर व्यक्ति या महिला को रिश्तेदार या पत्नी बताकर डोनर के रूप में लाया जाता है। इसका सत्यापन करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि फर्जी पहचान पत्र भी आसानी से बन जाते हैं। इस रैकेट से मरीज की भी पूरी मिलीभगत होती है। डाक्टर बताते हैं कि देश में सड़क हादसे में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है। इनमें से ज्यादातर लोगों का अंगदान संभव हो सकता है। लेकिन, जागरूकता के अभाव में अंगदान बहुत कम होता है।

स्थिति यह है कि एक लाख की आबादी पर भारत में एक व्यक्ति भी यहां अंगदान नहीं करता, जबकि स्पेन में एक लाख की आबादी में 48 लोग अंगदान करते हैं। डाक्टर बताते हैं कि कभी एक से दो लाख रुपये में किडनी बिकती थी, जबकि आज एक आम मरीज भी 20 से 25 लाख रुपये तक देने के लिए तैयार रहता है। हालांकि, इस रैकेट में गिरफ्तार आरोपित ने खुद कुबूल किया है कि वे मरीजों से प्रति किडनी 40 से 70 लाख रुपये तक वसूलते थे। दुर्भाग्य की बात यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर कई परिवार के लोग भी पैसे के लिए किडनी बेचने के लिए राजी हो जाते हैं।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के यूरोलाजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. राजीव सूद ने कहा कि किडनी रैकेट में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। साथ ही सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों का अंगदान बढ़ाना जरूरी है। अभी अंगदान के लिए लोगों में जागरूकता का अभाव है। इसलिए बहुत कम लोग अंगदान करते हैं। स्पेन में अंगदान अनिवार्य है। इस तरह कानून यहां भी होना चाहिए।

कोरोना से पहले वर्ष 2019 में हुए किडनी प्रत्यारोपण के आंकड़े

देश में कुल किडनी प्रत्यारोपण : 9,751

जीवित व्यक्ति के किडनी दान से प्रत्यारोपण : 8,613

कैडेवर डोनर प्रत्यारोपण : 1,138


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