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JNU PHD Admission 2022: जेएनयू प्रशासन ने पीएचडी दाखिले में विदेशी छात्रों के लिए किया बड़ा बदलाव, पढ़िए पूरी खबर

JNU PHD Admission 2022 पीएचडी में दाखिले के लिए नियमों में ढील दिए जाने के पत्र पर पहली बार जेएनयू प्रशासन ने चुप्पी तोड़ी है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि पीएचडी में दाखिले के लिए विदेशी छात्रों के लिए आरक्षण नहीं होता है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:34 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 01:34 PM (IST)
JNU PHD Admission 2022: जेएनयू प्रशासन ने पीएचडी दाखिले में विदेशी छात्रों के लिए किया बड़ा बदलाव, पढ़िए पूरी खबर
अफगानिस्तानी छात्रों के पीएचडी में दाखिले के लिए नियमों को लेकर जेएनयू प्रशासन ने तोड़ी चुप्पी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। JNU PHD Admission 2022: अफगानिस्तानी छात्रों के पीएचडी में दाखिले के लिए नियमों में ढील दिए जाने के पत्र पर पहली बार जेएनयू प्रशासन ने चुप्पी तोड़ी है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि पीएचडी में दाखिले के लिए विदेशी छात्रों के लिए आरक्षण नहीं होता है। भारतीय छात्रों के दाखिले के बाद भी यदि सीटें बची रहती हैं, तभी दाखिला दिया जाता है। दाखिला समिति ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए हर साल प्रवेश परीक्षा का आयोजन होता है।

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राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) परीक्षा आयोजित करती है, जबकि इंटरव्यू जेएनयू के विभाग व केंद्र के फैकल्टी लेते हैं। परीक्षा एवं इंटरव्यू के आधार पर मेरिट जारी की जाती है एवं पात्र छात्रों को दाखिला दिया जाता है। जबकि पीएचडी में दाखिले विभागानुसार सीटों के आधार पर दिए जाते हैं। जेएनयू के पास सीटें बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं हैं। पांच फीसद सुपरन्यूमेरिक सीटों में शहीदों की पत्नियों, वार्ड कोटा आदि के तहत सिर्फ स्नातक, स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में दाखिला दिया जाता है। पीएचडी में इसका प्रविधान नहीं होता है। जेएनयू में विदेशी छात्रों को दाखिला यूजीसी नियमों के अनुसार ही दिया जा सकता है।

यूजीसी के नियम कहते हैं कि भारतीय छात्रों के दाखिले के बाद भी यदि सीटें खाली रह जाती हैं तो विदेशी छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। सनद रहे कि जेएनयू से स्नातकोत्तर कर चुके तीन अफगानी छात्रों ने कुछ दिन पूर्व कुलपति प्रो. एम जगदेश कुमार को पत्र लिखा था। छात्रों ने पत्र में कहा था कि अफगानिस्तान के हालात खराब हैं। अफगानिस्तान जाने पर जान को खतरा हो सकता है। छात्रों ने कहा कि उन्होंने जेएनयू प्रवेश परीक्षा भी दी है। कुलपति से मानवता के आधार पर अफगान छात्रों के लिए कोटा, कटआफ या किसी भी अन्य माध्यम से आगे की पढ़ाई के लिए पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया में ढील देने की गुजारिश की थी।


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