Delhi: पहले इग्नू ने किया फेल, फिर HC के आदेश पर दी डिग्री, अब मुआवजे और नौकरी के लिए कोर्ट पहुंचीं ईशा
2007 में इग्नू ने पास होने पर भी कर एमए में ईशा को फेल कर दिया था।ईशा ने बताया कि पति की बीमारी और आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने खुद नौकरी में आने के लिए वर्ष 2019 में एमए की पढ़ाई पूरी करने के लिए इग्नू से फिर संपर्क किया।
नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। पास होने के बाद भी फेल बताया जाना और इसे लेकर घर से लेकर बाहर तक वर्षों लोगों के ताने सुनते हुए जीवन काटना। फिर लक्ष्य से न भटकना और अकेले अपने आत्मसम्मान के लिए संघर्ष करना।
ये कहानी है रोहिणी की रहने वाली 39 वर्षीय ईशा शर्मा की, जिन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने पहले फेल कर दिया, लेकिन फिर उनके संघर्ष के परिणामस्वरूप हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2007 की लोक प्रशासन में एमए की डिग्री 2022 में उपलब्ध कराई।
नौकरी और मुआवजे के लिए पहुंचीं कोर्ट
ईशा का संघर्ष अब भी खत्म नहीं हुआ है, डिग्री न मिलने के कारण नौकरी के लिए कहीं आवेदन न कर पाने का मलाल अब भी उनके जेहन में है और अब वह नौकरी और मुआवजा हासिल करने को लेकर साकेत कोर्ट पहुंची हैं।
एक असाइनमेंट में इग्नू ने बता दिया था फेल
ईशा ने बताया कि वर्ष 2005 में उन्होंने इग्नू से लोक प्रशासन में एमए की डिग्री के लिए आवेदन किया था। जून 2007 में जब उनकी प्रथम वर्ष की मार्कशीट आई तो उसमें उनको 60 अंकों के एक असाइनमेंट में शून्य अंक देकर फेल बता दिया गया।
सुने परिवार से लेकर बाहर वालों के ताने- उन्होंने बताया कि पिता के देहांत के बाद आर्थिक तंगी होते हुए भी उनकी मां ने उन्हें एमए में दाखिला दिलाया था।
वर्ष 2006 में जब उनका विवाह तय हुआ था तो ससुराल वालों को बताया गया था कि वो एमए कि पढ़ाई कर रही हैं, लेकिन विवाह होने के बाद 2007 में आए परीक्षा परिणाम में उन्हें फेल बता दिया गया।
ऐसे में उन्हें ससुराल वालों और बाहरी लोगों के ताने सुनने को मिले। इसका सबसे बड़ा असर उनकी मनोस्थिति पर पड़ा था।
2019 में फिर से पढ़ाई करने की सोची
ईशा ने बताया कि पति की बीमारी और आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने खुद नौकरी में आने के लिए वर्ष 2019 में एमए की पढ़ाई पूरी करने के लिए इग्नू से फिर संपर्क किया।
इस दौरान उन्हें पता चला कि वर्ष 2007 में उन्हें जिस असाइनमेंट में फेल किया गया था, उसके अंक स्टडी सेंटर से मुख्य केंद्र में शून्य भेजे गए थे, जबकि स्टडी सेंटर के रजिस्टर में इस असाइनमेंट में उनके 60 अंक दर्ज थे।
अपने सही अंक मुख्य केंद्र को भिजवाने के बाद भी इग्नू ने मार्कशीट में संशोधन से इनकार कर दिया। इसपर उन्होंने अदालत से न्याय की गुहार लगाई, तब इग्नू ने उन्हें एमए पास होने की मार्कशीट और सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया।
डिग्री के जरिए करती अच्छी नौकरी: ईशा
ईशा का कहना है कि यदि उन्हें फेल नहीं किया जाता तो वह उस डिग्री के जरिये अच्छी नौकरी हासिल कर समाज में सम्मान के साथ रह सकती थीं, ऐसे में अब वह नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर फिर से कोर्ट के दरवाजे पर पहुंची हैं।
इग्नू के कुलपति नागेश्वर राव ने कहा- यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। पता करके ही इसपर कुछ बता सकूंगा।