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मानहानि केसः जानिए, अरविंद केजरीवाल पर अरुण जेटली ने क्‍या लगाए गंभीर आरोप

अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि उनका आठ बार क्रास एग्जामिनेशन हो चुका है, लेकिन एक बार भी मानहानि वाले कथन के बारे में कोई सवाल नहीं पूछा गया।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 07:58 AM (IST)Updated: Fri, 24 Nov 2017 10:18 PM (IST)
मानहानि केसः जानिए, अरविंद केजरीवाल पर अरुण जेटली ने क्‍या लगाए गंभीर आरोप
मानहानि केसः जानिए, अरविंद केजरीवाल पर अरुण जेटली ने क्‍या लगाए गंभीर आरोप

नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मानहानि मामले में देरी करने का आरोप लगाया है। अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि उनका आठ बार क्रास एग्जामिनेशन हो चुका है, लेकिन एक बार भी मानहानि वाले कथन के बारे में कोई सवाल नहीं पूछा गया।

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इसके अलावा दुनिया के सभी सवाल उनसे पूछे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुनवाई में देरी करने के लिए ही केजरीवाल ऐसी अर्जियां दाखिल कर रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः 'आप' नेता राघव चड्ढा की अर्जी पर 25 तक फैसला करे हाई कोर्ट

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के हटने के बाद बृहस्पतिवार को केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अनूप जॉर्ज चौधरी ने जेटली का क्रास एग्जामिनेशन किया। चौधरी ने हाई कोर्ट के संयुक्त रजिस्ट्रार राकेश पंडित से कहा कि उन्हें जेटली के क्रास एग्जामिनेशन के लिए और समय चाहिए।

इसके बाद हाई कोर्ट ने अगले क्रास एग्जामिनेशन की तिथि 30 नवंबर नियत की। अरुण जेटली ने मामले में केजरीवाल के अलावा आप नेता राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी को भी आरोपी बनाया है।

इन आप नेताओं ने अरुण जेटली पर 2000 से 2013 के बीच डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जेटली ने दस करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया है।

एक नजर पूरे मामले पर

गौरतलब है कि डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। चेतन सांघी ने दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन्होंने डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है, रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीसीए ने फ़िरोज़शाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला। इस पर 24 करोड़ ख़र्च होने थे पर ख़र्च 114 करोड़ रुपये हुए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज़ कर दिए गए।

रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की 'फ्रंट' कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया।

डीडीसीए फ़िरोज़शाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज़ पर लेकर चलाता है. इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है।

मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपये सालाना मिलने चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज़ नहीं है।


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