Jamia Nagar violence: शरजील इमाम समेत 11 को लोगों को आरोपमुक्त करने के खिलाफ दिल्ली HC ने जारी किया नोटिस
इस मामले में साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम समेत 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट ने अपनी राय रखते हुए इन शरजील व अन्य लोगों के कदम को विरोध माना था।
नई दिल्ली, एजेंसी। जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम समेत 11 को बरी करने के निर्णय को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में आज सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर इमाम और अन्य को नोटिस जारी किया और स्पष्ट किया कि निचली अदालत की टिप्पणियों से मामले या मुकदमे में आगे की जांच प्रभावित नहीं होगी।
बता दें कि इस मामले में साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम समेत 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट ने अपनी राय रखते हुए इन शरजील व अन्य लोगों के कदम को विरोध माना था। पुलिस को नसीहत दी थी कि वह विरोध और बागावत में अंतर को समझे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन लोगों की मिलीभगत से हिंसा हुई, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को हाई कोर्ट में शरजील सहित 11 लोगों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस ने याचिका में कहा कि निचली अदालत का आदेश न्याय की कसौटी पर खरा नहीं उतरता, क्योंकि पुलिस द्वारा पेश साक्ष्यों पर गौर नहीं किया गया। उससे पहले मिनी ट्रायल करते हुए मामले में निर्णय सुना दिया। इस याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
पुलिस ने इस आदेश के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि चेतावनी के बाद भीड़ आगे बढ़ी और हिंसक हो गई। हिंसक हो जाना लोकतांत्रिक विरोध की श्रेणी में नहीं आता। याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस के पास वीडियो फुटेज, काल डिटेल रिकार्ड समेत सभी तरह के साक्ष्य थे। उन पर निचली अदालत ने गौर नहीं किया और मिनी ट्रायल के रूप में निर्णय करते हुए आरोपितों को क्लीन चिट दे दी।
पुलिस ने आरोपितों को तमाशबीन की श्रेणी में रखे जाने को लेकर भी आपत्ति जताई है। पुलिस ने दावा किया कि जामिया हिंसा में चश्मा टूटने की बात शरजील ने 16 जनवरी 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में भाषण के दौरान कही थी, जो हिंसा में उसकी मौजदूगी को दर्शाती है। बता दें, इस मामले में एक आरोपित के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश कोर्ट ने किया था।
ये हुए थे आरोपमुक्त
शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजार, मोहम्मद शोएब, उमर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादवये थे आरोपघातक हथियारों से लैस दंगा करने, गैर इरादतन हत्या का प्रयास, खुले में सामान जलाना, सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य के निवर्हन से रोकना, गलत तरीके से बंधक बनाना, जानबूझ कर चोट पहुंचाना और आपराधिक साजिश रचना।
क्या है मामला
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया से शुरू मार्च के दौरान भीड़ उग्र हो गई थी। उसमें पुलिस पर पथराव हुआ था। कई जगह आगजनी की गई थी। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए आंसू गैस समेत अन्य कार्रवाई की थी। शुरुआत में मामले की जांच जामिया नगर थाना पुलिस ने की थी। बाद में इस केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था। इसमें शरजील इमाम समेत कई को आरोपित बनाया गया था। शरजील पर आरोप था कि उसने दंगे भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण दिए।