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हाई कोर्ट ने निचली अदालत के जज से मांगा स्पष्टीकरण, आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नाराज

दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे-03) से स्पष्टीकरण मांगा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 09:54 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 09:54 PM (IST)
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के जज से मांगा स्पष्टीकरण, आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नाराज
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के जज से मांगा स्पष्टीकरण, आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नाराज

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दो भाइयों के बीच संपत्ति विवाद के लंबित मामले की जल्द सुनवाई कर स्थिति रिपोर्ट पेश करने के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे-03) से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने 19 दिसंबर तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है।

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पिछले 5 नवंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सुरेंद्र कुमार के अधिवक्ता जगमोहन सिंह ने पीठ को बताया कि 1 अक्टूबर को पीठ ने आदेश दिया था कि एएसजे-03 मामले पर तेजी से सुनवाई कर 5 नवंबर तक स्थिति रिपोर्ट पेश करें। 30 अक्टूबर को एएसजे की अदालत में सुनवाई के लिए मामला सूचीबद्ध था, लेकिन एएसजे ने यह कहते हुए मामले को 6 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया कि यह अभी हाई कोर्ट में लंबित है।

कोर्ट ने निचली अदालत के जज से मांगा स्पष्टीकरण

इन दलीलों को रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग यही थी कि सभी पक्षों को सुनकर निचली अदालत फैसला जल्द सुनाए। इस अदालत ने सुनवाई पर रोक नहीं लगाई थी, बल्कि तेजी से सुनवाई कर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। जबकि निचली अदालत ने मामले में सुनवाई भी नहीं की और न ही अब तक स्थिति रिपोर्ट पेश की है। पीठ ने एएसजे से स्पष्टीकरण मांगा कि आखिर एक अक्टूबर को दिए गए आदेश के तहत स्थिति रिपोर्ट क्यों नहीं पेश की गई।

तेजी से सुनवाई की मांग 

याचिका के अनुसार यह पूरा मामला सुरेंद्र कुमार और उनके भाई प्रदीप कुमार के बीच संपत्ति का है। कोटला मुबारकपुर थाने में मामला दर्ज हुआ और एसडीएम की अदालत में सुनवाई हुई। एसडीएम ने प्रदीप कुमार के हक में फैसला सुनाते हुए बेसमेंट खाली करने का आदेश दिया। सुरेंद्र कुमार ने इस फैसले को एएसजे की अदालत में चुनौती दी। वहीं तेजी से सुनवाई की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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