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परीक्षाओं में अनुचित साधनों का सहारा लेने वाले छात्र नहीं कर सकते राष्ट्र का निर्माण, दिल्ली HC ने की टिप्पणी

Delhi News दिल्ली हाई कोर्ट ने डीटीयू के इंजीनियरिंग के एक छात्र की अपील को खारिज करते हुए टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि धोखेबाज छात्र को निष्कासित करने के बजाय विश्वविद्यालय ने चतुर्थ श्रेणी की सजा देकर नरमी बरती है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhishek TiwariPublished: Sun, 25 Dec 2022 08:01 AM (IST)Updated: Sun, 25 Dec 2022 08:01 AM (IST)
परीक्षाओं में अनुचित साधनों का सहारा लेने वाले छात्र नहीं कर सकते राष्ट्र का निर्माण- दिल्ली HC

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) इंजीनियरिंग के एक छात्र योगेश परिहार की अपील याचिका को अहम टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि जो छात्र परीक्षाओं में अनुचित साधनों का सहारा लेते हैं और इससे बच निकलते हैं वे इस राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते हैं।ऐसे छात्रों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, ताकि उन्हें अपने जीवन में अनुचित साधनों को नहीं अपनाने का सबक सिखाया जा सके।

दूसरे सेमेस्टर की सभी परीक्षाओं को किया गया था रद

इंजीनियरिंग छात्र ने एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी। छात्र को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पाया गया था। विश्वविद्यालय ने उसके द्वारा दी गई दूसरे सेमेस्टर की सभी परीक्षाओं को रद कर दिया था। साथ ही तीसरे सेमेस्टर के लिए उनका पंजीकरण भी स्वतः रद कर दिया था।

दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा के दौरान एक वाट्सएप ग्रुप में एक प्रश्न पत्र साझा किया था।साथ ही परीक्षा के दौरान हाथ से लिखे उत्तर और प्रिंट आउट भी साझा किए थे। एकल पीठ ने विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिकाकर्ता छात्र की याचिका को खारिज कर दिया था।

इस निर्णय को छात्र ने चुनौती दी थी।एकल पीठ के निर्णय को बरकरार रखते हुए अदालत ने यहां तक कहा कि विश्वविद्यालय धोखेबाज छात्र को निष्कासित करने के बजाय चतुर्थ श्रेणी की सजा देकर नरमी बरत रहा है।अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।


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