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Air Pollution पर HC सख्त, कहा- बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंची वायु गुणवत्ता पर नहीं बंद कर सकते आंखें

दिल्ली में वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी के बीच है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि हाल की हवा के प्रवाह की स्थिति के कारण ही पिछले कुछ दिनों में राजधानी में हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है।

By Vineet TripathiEdited By: Prateek KumarPublished: Mon, 14 Nov 2022 08:43 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2022 10:44 PM (IST)
Air Pollution पर HC सख्त, कहा- बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंची वायु गुणवत्ता पर नहीं बंद कर सकते आंखें
न्याय मित्र को दिया वनों की कटाई के मुद्दे से निपटने के लिए सुझावों के साथ रिपोर्ट पेश का निर्देश।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Air Pollution: दिल्ली की दूषित हवा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि अदालत इस तथ्य पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी के बीच है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि हाल की हवा के प्रवाह की स्थिति के कारण ही पिछले कुछ दिनों में राजधानी में हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है। हालांकि, आज तक हम बहुत गंभीर श्रेणी में हैं। पिछले कुछ हफ्तों से हम 'गंभीर' से 'बहुत खराब' श्रेणी के बीच झूल रहे हैं।

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प्रदूषण से निपटने के लिए बनी है योजना 

अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता पीठ को बताया कि शहर में प्रदूषण से निपटने के लिए एक श्रेणीबद्ध योजना बनाई है और यह योजना इस सीजन में लागू की गई है। वायु प्रदूषण से संबंधित वर्ष 2015 में शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

पहले के जंगल अब अनाधिकृत कॉलोनी में तब्दील

शहर में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और शहर के जंगलों की स्थिति पर पीठ को सूचित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता व न्याय मित्र कैलाश वासदेव ने कहा कि यहां कई क्षेत्रों में पहले जंगल हुआ करते थे जो अब अनाधिकृत कालोनियों में बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से वनों की कटाई से निपटने का एकमात्र तरीका इन अवैध निर्माणों को रोकना है।

निर्माण नियमों का हुआ उल्लंघन 

इस पर भी अदालत ने कहा कि निर्माण नियमों का उल्लंघन हुआ और अधिकारी इस तथ्य अवगत हैं, ऐसे में अदालत इस तथ्य पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती है। पीठ ने कहा कि क्या हम बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण से अपनी आंखें बंद कर सकते हैं? वे निर्माण कैसे हुए क्योंकि वे नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। जाहिर है कि यह रातोंरात नहीं आया है।इसके लिए जिम्मेदार लोग निश्चित रूप से जानते हैं। अदालत ने वासदेव को राजधानी में वनों की कटाई के मुद्दे से निपटने के लिए सुझावों के साथ इस मुद्दे पर अपनी दलीलें पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई एक फरवरी, 2023 तक के लिए स्थगित कर दी।

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