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Delhi High Court News: क्या अदालतों में मूलभूत ढांचा तैयार करने के लिए पर्याप्त है 79.48 करोड़

Delhi High Court ः अदालत ने कहा कि अदालत यह जानने के लिए उत्सुक है कि कैसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों द्वारा 79 करोड़ रुपये से अधिक का संशोधित अनुमान निकाला गया और फिर आईटी के क्षेत्र के विशेषज्ञों की भागीदारी के बगैर दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भेज दिया गया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 08:34 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 08:10 AM (IST)
हाईब्रिड सुनवाई के लिए ढांचा तैयार करने को दिल्ली सरकार ने 79.48 लाख का लगाया संशाेधित अनुमान

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। निचली अदालतों में हाईब्रिड सुनवाई के लिए मूलभूत ढांचा तैयार करने को 79.48 करोड़ रुपये के खर्च के दिल्ली सरकार के संशोधित अनुमान पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार जनरल को कहा विशेषज्ञों से परामर्श करके जवाब दाखिल करें। इस कार्य के लिए पूर्व में 220 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान था। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि अदालत यह जानने के लिए उत्सुक है कि कैसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों द्वारा 79 करोड़ रुपये से अधिक का संशोधित अनुमान निकाला गया और फिर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र के विशेषज्ञों की भागीदारी के बगैर दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भेज दिया गया।

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अधिवक्ता अनिल कुार हजले व मनश्वी झा की दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने पूछा कि आपने अपनी तरफ से 79 करोड़ रुपये की सीमा तय की है। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या किसी ने यह कहने के लिए अपना दिमाग लगाया है कि वर्चुअल कोर्ट के लिए 79 करोड़ रुपये काफी हैं? आप बाद में आइटी विभाग में कैसे जा सकते हैं? मतलब आप पैसे बर्बाद करेंगे और फिर अपग्रेड करेंगे? पीठ ने इसके साथ ही रजिस्ट्रार जनरल को विशेषज्ञों की राय लेने के बाद इस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई नौ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

दोनों अधिवक्ता ने कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए जिला अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए मूलभूत ढांचा तैयार करने का निर्देश देने की मांग की है। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि 79 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान को वित्त विभाग से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और संबंधित अधिकारियों से प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद आगे की मंजूरी के लिए इसे दिल्ली के आइटी विभाग को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि संशोधित अनुमान तय करते समय आइटी विशेषज्ञों को विश्वास में लिया गया था और यदि बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने की जरूरत हुई तो ऐसा ही किया जाएगा। पांच अक्टूबर को अदालत ने यह बताने को कहा था कि महामारी की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए निचली अदालतों में हाईब्रिड सुनवाई की व्यवस्था कब तक स्थापित कर दी जाएगी।


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