पासपोर्ट नवीनीकरण: HC ने कहा- जांच प्रक्रिया में मौलिक अधिकार को नहीं बना सकते बंधक
पीठ ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने जरूरी सभी औपचारिकताओं को पूरा किया है तो ऐसे में पासपोर्ट का नवीनीकरण न करना उसके मौलिक अधिकारों को चोट पहुंचाना है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पासपोर्ट नवीनीकरण के मामले में दो साल तक कोई कार्रवाई नहीं करने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने कहा कि किसी एजेंसी द्वारा की जा रही लंबी जांच प्रक्रिया के कारण किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकार को बंधक नहीं बनाया जा सकता। पीठ ने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने जरूरी सभी औपचारिकताओं को पूरा किया है तो ऐसे में पासपोर्ट का नवीनीकरण न करना उसके मौलिक अधिकारों को चोट पहुंचाना है।
याचिकाकर्ता जसविंदर सिंह चौहान मूलरूप से भारतीय नागरिक हैं और लीगल वर्क परमिट पर कनाडा में ट्रक डाइवर हैं। जसविंदर को सितंबर 2016 में एक स्कीम के तहत कनाडा में स्थायी आवासीय स्टेटस के चयनित होने की सूचना मिली। इसके बाद याची ने कनाडा स्थित वाणिज्य दूतावास जनरल में पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था।
याची के आवेदन पर वाणिज्य दूतावास को पता चला कि याची के पासपोर्ट वाले नंबर का ही एक अन्य पासपोर्ट भी है, जिसे अटलांटा स्थित वाणिज्य दूतावास जनरल से 13 अप्रैल 2016 से अप्रैल 2026 तक की वैधता मिली है। विभाग ने और जांच की तो पता चला कि उक्त पासपोर्ट याचिकाकर्ता के बहनोई जगदीप सिंह ढिल्लन के नाम से है। जिसने फर्जी तरीके से अटलांटा वाणिज्य दूतावास से याचिकाकर्ता के नंबर वाले पासपोर्ट का नवीनीकरण करा लिया है।
विभाग ने आरोप लगाया कि याची की मिलीभगत से ही उसके बहनोई ने यह सब किया है। वहीं दूसरी तरफ याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अटलांटा वाणिज्य दूतावास द्वारा जारी किए गए पासपोर्ट पर उसके बहनोई की फोटो नहीं है। याची के वकील ने कहा कि अगर उनके मुवक्किल को कनाडा की स्थायी आवासीय मान्यता मिल जाती है तो उसका परिवार भी वहीं आकर रह सकेगा।
तत्काल पासपोर्ट नवीनीकरण करने के आदेश
न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद केंद्र सरकार को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के पासपोर्ट को तत्काल नवीनीकरण किया जाना चाहिए। हालांकि, पीठ ने यह भी कहा कि अगर आगे की जांच में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई तथ्य सामने आता है तो जनहित में उसका पासपोर्ट रद कर सकते हैं।