डीपफेक के युग में फोटो पर भरोसा नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की पत्नी के अवैध संबंधों के आरोप से जुड़ी तस्वीरों पर अहम टिप्पणी
पत्नी के अवैध रिश्ते होने का आरोप लगाते हुए पति द्वारा पेश की गई तस्वीरों पर भरोसा करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि डीपफेक के दौर में इसकी जांच ट्रायल के दौरान हो सकती है। पारिवारिक निर्णय को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि अदालत ने तस्वीरें देखी हैं।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। पत्नी के अवैध रिश्ते होने का आरोप लगाते हुए पति द्वारा पेश की गई तस्वीरों पर भरोसा करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि डीपफेक के दौर में इसकी जांच ट्रायल के दौरान हो सकती है। पारिवारिक निर्णय को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि अदालत ने तस्वीरें देखी हैं।
यह स्पष्ट नहीं है कि तस्वीरों में पत्नी ही वह व्यक्ति है या नहीं। पति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 24 के तहत उससे गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। पति ने पारिवारिक अदालत के भरण-पोषण आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। पारिवारिक अदालत ने पति को पत्नी और उनकी बेटी दोनों को 75 हजार का भरण पोषण देने का आदेश दिया था।
पति को राहत देने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि डीपफेक के इस युग में यह आवश्यक है कि तस्वीरों को वैवाहिक विवाद से निपटने वाली पारिवारिक अदालत के समक्ष साक्ष्य के माध्यम से साबित किया जाए। हालांकि, अदालत ने दोनों पक्षों को अपने संबंधित मामलों के समर्थन में अपने साक्ष्य संबंधित अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखने का अवसर दिया। पति द्वारा तलाक के लिए दायर की गई याचिका निर्णय के लिए लंबित है।
पति की याचिका के अनुसार पत्नी मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर है, लेकिन अलग होने के बाद वह अपने माता-पिता के साथ रह रही थी और नौकरी नहीं कर रही थी। पारिवारिक अदालत ने पति को पत्नी और दो बेटियों को 75 हजार का रखरखाव देने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि व्यभिचार का आरोप पारिवारिक अदालत के समक्ष नहीं उठाया गया था।