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दिल्‍ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्‍थाना मामले में फैसला रखा सुरक्षित

दिल्‍ली की हाई कोर्ट ने सीबीआइ के स्‍पेशल डायरेक्‍टर राकेश अस्‍थाना मामले में गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 09:35 PM (IST)
दिल्‍ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्‍थाना मामले में फैसला रखा सुरक्षित
दिल्‍ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्‍थाना मामले में फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्‍ली, एजेंसी। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ द्वारा रिश्वतखोरी के मामले में दर्ज रिपोर्ट के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की याचिका पर गुरुवार को बहस पूरी हो गई। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने सीबीआइ, केंद्र सरकार, सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना, डीसीपी देवेंद्र कुमार और संयुक्त निदेशक एके शर्मा का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

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लंबी बहस के दौरान सीबीआइ की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बैनर्जी ने कहा कि रिश्वतखोरी के मामले में राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच जारी रहनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि कानून के हिसाब से यह संज्ञेय अपराध है और सुबूतों की सच्चाई की पड़ताल के लिए जांच एजेंसी को रिपोर्ट दर्ज करना ही था। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज करने के दौरान सभी प्रक्रिया का पालन किया गया है।

राकेश अस्थाना की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण व दयन कृष्णन ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज होने के 52 घंटे के बाद इसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जबकि नियम के तहत यह 24 घंटे में पेश की जानी चाहिए थी।

गौरतलब है कि कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के मामले में 15 अक्टूबर को सीबीआइ ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। सीबीआइ ने डीएसपी देवेंद्र कुमार व मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया था।

रिपोर्ट रद करने और तत्काल कोई कार्रवाई नहीं करने की मांग करते हुए अस्थाना ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अस्थाना द्वारा सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाने पर केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेजते हुए सीबीआइ की कमान एम नागेश्वर राव को सौंप दी थी। केंद्र सरकार के फैसले को आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और इस पर फैसला अभी लंबित है।


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