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Delhi News: अच्छा आचरण बना नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी की रिहाई की वजह, जेल में करता था योग

अपीलकर्ता अखिलेश आर्या ने 14 मार्च 2018 में उम्रकैद की सजा और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के लगाने के तीस हजारी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार अपीलकर्ता पर चार साल की बच्ची से दुष्कर्म करने का आरोप है।

By Vineet TripathiEdited By: Abhishek TiwariPublished: Mon, 30 Jan 2023 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 09:49 AM (IST)
Delhi News: अच्छा आचरण बना नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी की रिहाई की वजह, जेल में करता था योग
Delhi News: अच्छा आचरण बना नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी की रिहाई की वजह, जेल में करता था योग

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए सजायाफ्ता कैदी को रिहा करने का आदेश दे दिया कि जेल के अंदर उसका आचरण अच्छा था और वह वहां पर योग की कक्षा लेता था। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता व पूनम ए बंबा की पीठ ने देखा कि अपीलकर्ता ने पीड़िता पर क्रूरता या हिंसा नहीं की थी।

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दोषी पर पत्नी व दो बच्चों की जिम्मेदारी

घटना के समय वह 48 वर्ष का था और उस पर पत्नी व दो बच्चों की जिम्मेदारी है। अदालत की राय है कि उसे उम्रकैद की अधिकतम सजा न दी जाए।अपीलकर्ता पहले ही 11 साल चार महीने की सजा काट चुका है और उम्रकैद की उसकी सजा को अब तक जेल में बिताई गई सजा तक कम करते हुए रिहा करने का आदेश दिया जाता है।

अपीलकर्ता अखिलेश आर्या ने 14 मार्च, 2018 में उम्रकैद की सजा और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के लगाने के तीस हजारी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार अपीलकर्ता पर चार साल की बच्ची से दुष्कर्म करने का आरोप है। पीड़िता व उसकी मां ने आरोपित की थाने में पहचान की थी।

दस साल से अधिक की सजा भुगत चुका है शख्स

आरोपित ने कहा कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। इतना ही नहीं पीड़िता द्वारा अलग-अलग बयान दिया गया है। घटनास्थल के पास कामगारों के काम करने व लोगों द्वारा ही अपीलकर्ता को थाने लाने के बावजूद भी कोई भी स्वतंत्र गवाह का परीक्षण नहीं किया गया।

अपीलकर्ता ने कहा कि बकाया किराये को लेकर शिकायतकर्ता व उसके परिवार के साथ झगड़ा होने के कारण उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि पहले वह दस साल से अधिक की सजा भुगत चुका है और उस पर परिवार की जिम्मेदारी है।

वहीं, अपील का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्होंने संदेह से परे मामले को साबित किया है। पीड़िता के बयान से लेकर फोरेंसिक रिपोर्ट में आरोप साबित हुए हैं।अदालत ने दोनों को पक्षों को सुनने के बाद तथ्यों की समग्रता को देखते हुए अपीलकर्ता को राहत देते हुए उसे रिहा करने का आदेश दे दिया।


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