तीन निजी अस्पतालों को दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब, ये है वजह
याचिका में मार्च 2007 के हाई कोर्ट व 9 जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर तीनों अस्पतालों के खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई की मांग की गई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। आर्थिक रूप से कमजोर व गरीबों का मुफ्त इलाज करने के संबंध में अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने तीन निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका के अनुसार तीनों अस्तपालों को सब्सिडी पर सरकार की तरफ से भूमि आवंटित की गई है और नियम के तहत यहां पर आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए मुफ्त इलाज अनिवार्य है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी निजी अस्पताल ऐसा नहीं कर रहे हैं।
23 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने मूलचंद हॉस्पिटल चलाने वाले खैराती राम ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक व सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल के चेयरमैन और राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के मुख्य एक्जिक्यूटिव ऑफिसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।
जनहित याचिका पर चल रही है सुनवाई
गैर सरकारी संस्था सोशल जूरिस्ट की तरफ से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। याचिका में मार्च 2007 के हाई कोर्ट व 9 जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर तीनों अस्पतालों के खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई की मांग की गई है।
आदेश का अनुपालन कर रहे हैं
सुनवाई के दौरान मूलचंद अस्पताल के वकील ने कहा कि वह अदालत के पूर्व आदेश का अनुपालन कर रहे हैं। याचिका के अनुसार वर्ष 2007 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पक्षकार बनाए गए सभी 20 अस्पतालों को गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ओपीडी में 25 फीसद व 10 फीसद आइपीडी में मुफ्त इलाज करने का आदेश दिया था।