दिल्ली में पेड़ों की कटाई का मामला, HC ने कहा- अन्य योजनाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं
दिल्ली सरकार, SDMC व NHAI ने पूछा था कि पेड़ों की कटाई पर रोक क्या पूरी दिल्ली में लागू है। आदेश के बाद वन विभाग कहीं पेड़ काटने की अनुमति नहीं दे रहा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में केंद्रीय आवासीय कॉलोनी के निर्माण के लिए हजारों की संख्या में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के आदेश से फैले भ्रम पर मुख्य पीठ ने अपना रुख स्पष्ट किया है। पीठ ने कहा कि पेड़ों की कटाई को लेकर लगाई गई रोक सरोजनी नगर समेत दक्षिण दिल्ली की कॉलोनियों में संभावित सात योजनाओं तक ही सीमित है।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने कहा कि याचिका सिर्फ सात योजनाओं को लेकर दायर की गई थी और आदेश उन्हीं को लेकर दिया गया था। अगर किसी अन्य योजना में पेड़ की कटाई को लेकर कोई विरोध है तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दायर की जा सकती है।
दरअसल, हाई कोर्ट ने दक्षिण दिल्ली में सरकारी आवासीय कॉलोनियों के निर्माण के लिए 20 हजार पेड़ों को काटने की अनुमति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाई कोर्ट ने 4 जुलाई को दिल्ली में आवासीय कॉलोनियों के निर्माण के लिए पड़ों की कटाई पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। वहीं 30 अगस्त को नौरोजी नगर में अगले आदेश तक नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) के निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी।
अब दिल्ली सरकार, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में आवेदन लगाकर पूछा कि अदालत का आदेश क्या पूरी दिल्ली में लागू है। एजेंसियों ने आवेदन में कहा कि आदेश के बाद से वन विभाग कहीं भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं दे रहा है। पीठ ने आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि अदालत राजधानी में चल रही विभिन्न योजनाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।
अन्य योजनाओं पर उनके इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं होगा। बता दें कि याचिकाकर्ता डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने जनहित याचिका में कहा था कि केंद्रीय आवासीय कॉलोनी के निर्माण के लिए दक्षिण दिल्ली की छह कॉलोनियों सरोजिनी नगर, नौरोजी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, मोहम्मदपुर और कस्तूरबा नगर में 16,500 पेड़ काटने की अनुमति दी गई है। कई स्थानों पर बड़ी संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं। याचिका में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी।