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HC से हरियाणा सरकार को फटकार, कहा- न की जाए दिल्ली के पानी में कटौती

हरियाणा को आगाह करते हुए दिल्‍ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राजधानी को पानी देने में किसी तरह की कटौती न की जाए।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:17 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 10:23 AM (IST)
HC से हरियाणा सरकार को फटकार, कहा- न की जाए दिल्ली के पानी में कटौती

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नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने हरियाणा सरकार को आगाह किया है कि वादे के मुताबिक दिल्ली को नियमित पानी की आपूर्ति की जाए और कोई कटौती न हो। 2014 में अदालत की तरफ से दिए गए आदेश का पालन किया जाए। दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर मांग के मुताबिक पानी नहीं देने का आरोप लगाया है।
यमुना में पानी की सप्लाई को लेकर हरियाणा को दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाई। साथ ही अवैध बांध के निर्माण की जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की है। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि 18 अप्रैल को ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की बैठक में हरियाणा ने दिल्‍ली को पानी देने के लिए शर्त रखा और कहा कि वह पानी के मुद्दे पर दर्ज सभी मामले कोर्ट से वापस ले, तभी वह पानी देने पर विचार करेगा। दिल्ली सरकार का यह भी आरोप है कि पानी की सप्लाई में रुकावट के इरादे से यमुना पर अवैध बांध का निर्माण किया जा रहा है।
हाई कोर्ट की नाराजगी
हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई कि दिल्ली को मांग के मुताबिक पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। हाई कोर्ट ने दिल्ली व हरियाणा सरकार के संबंधित विभागों को भी अपना-अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
टीला बनाकर जल प्रवाह को रोकने का आरोप
मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने यमुना नदी के माध्यम से दिल्ली आने वाले जल के प्रवाह को टीला बनाकर रोकने के आरोप की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है। कमेटी जांच कर बताएगी कि क्या जलापूर्ति रोकने के लिए विभिन्न जगह टीला बनाया गया है? टीला कितनी दूरी पर है और क्या उससे जलापूर्ति बाधित हो रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 मई को होगी।
दिल्‍ली हाई कोर्ट का हरियाणा को निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा से कहा कि वह अपने वादे के मुताबिक रोजाना मुनक नहर से 791 क्यूसेक और अन्य नहरों के जरिए 330 क्यूसेक जल की आपूर्ति करता रहे। वह अपने वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से भी पहले की तरह रोजाना पानी की आपूर्ति करे। उस जल की आपूर्ति केंद्रीय दिल्ली व लुटियंस जोन में की जाती है।दिल्‍ली जल बोर्ड ने जताई थी चिंता
इससे पहले देश की राजधानी में पानी की समस्या को लेकर दिल्ली जल बोर्ड ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर गंभीर चिंता जताई थी। जल बोर्ड ने कहा था कि हरियाणा से होने वाली जल आपूर्ति में कोई कटौती न हो, इसके लिए केंद्र सरकार को इसकी निगरानी करने के लिए कहा जाए। आने वाला समय महत्वपूर्ण है और हरियाणा को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए वजीराबाद जलाशय में पर्याप्त पानी रखना चाहिए।
मई जून में बढ़ जाती है डिमांड
दिल्ली जल बोर्ड के अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कोर्ट से कहा था कि दिल्ली को रोजाना 1133 क्यूसेक पानी की जरूरत पड़ती है। खासकर गर्मी के मौसम में मई से लेकर जून तक जल की काफी मांग होती है, लेकिन हरियाणा सरकार उस हिसाब से जलापूर्ति नहीं कर रही है। दिल्ली में अभी पानी की काफी किल्लत है।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ के समक्ष दाखिल शपथ पत्र में जल बोर्ड ने कहा कि वजीराबाद जलाशय को भरने के लिए जरूरी कम से कम 120 क्यूसेक पानी देने में हरियाणा अनिच्छा जता रहा है, जबकि यह न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। अनुरोध है कि कम से कम 100 दिन तक केंद्र सरकार हरियाणा से होने वाली जलापूर्ति की निगरानी करे। इसका असर लुटियन दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, न्यायमूर्ति समेत अन्य सरकारी आवासों की जलापूर्ति पर पड़ सकता है।

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