करोड़ों रुपये के टैक्सी एप धोखाधड़ी मामले में हाई कोर्ट ने कंपनी के दो निदेशकों को दी जमानत
फर्म में निवेश पर भारी रिटर्न का वादा करके सैकड़ों लोगों को 250 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपित एप-आधारित हैलो टैक्सी कंपनी के दो निदेशकों सुंदर सिंह भाटी और राजेश महतो को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। फर्म में निवेश पर भारी रिटर्न का वादा करके सैकड़ों लोगों को 250 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपित एप-आधारित हैलो टैक्सी कंपनी के दो निदेशकों सुंदर सिंह भाटी और राजेश महतो को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आरोपित एक साल से अधिक समय से हिरासत में हैं और उन्हें निरंतर हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि मामले में आरोप पत्र के साथ-साथ पूरक आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और मामले में उपलब्ध सभी साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं और जांच एजेंसी के कब्जे में है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को धोखाधड़ी का पैसा सौंपा गया था या नहीं यह मुकदमे का मामला है और इस समय इस पर ध्यान नहीं दिया जा सकता है।
पीठ ने उक्त पहलुओं को देखते हुए आरोपितों को 1.5 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानती पर जमानत देने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि जमानत के दौरान न तो वे सुबूतों से छेड़छाड़ करेंगे और न ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। भाटी को मामले में नौ दिसंबर 2020 और महतो को 22 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने हैलो टैक्सी कंपनी के दो निदेशकों को करोड़ों रुपये के धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार दोनों आरोपियों ने अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ कंपनी में निवेश पर मासिक आधार पर 200 प्रतिशत तक की उच्च ब्याज दरों का वादा करके सैकड़ों लोगों को कथित रूप से ठगा था। पूर्व सैनिक धर्मेंद्र ¨सह द्वारा एक शिकायत दर्ज की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि एसएमपी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड (हैलो टैक्सी) और उसके निदेशकों या अधिकारियों डा. सरोज महापात्रा, राजेश महतो, डेजी विजय मेनन और सुंदर सिंह भाटी और अन्य अज्ञात व्यक्तियों ने धोखाधड़ी की थी।
अभियोजकों ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में 900 से अधिक निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है और भाटी को पहले एक भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था। कई नोटिस जारी किए जाने के बावजूद वह कभी भी जांच में शामिल नहीं हुआ और कई गवाहों या शिकायतकर्ताओं ने विशेष रूप से अभियुक्तों का नाम लिया है।