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जानिए, AAP नेता गोपाल राय के लिए क्‍यों आसान नहीं है दिल्‍ली की डगर

दिल्‍ली की बागडोर आप नेता गोपाल राय को सौंपी गई है। उन्‍हें दिल्‍ली का प्रभारी बनाया गया है। लेकिन दिल्‍ली की राह इतनी आसान नहीं है। आइए जानते हैं गोपाल राय की मुश्किलें।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 09:25 PM (IST)
जानिए, AAP नेता गोपाल राय के लिए क्‍यों आसान नहीं है दिल्‍ली की डगर
जानिए, AAP नेता गोपाल राय के लिए क्‍यों आसान नहीं है दिल्‍ली की डगर

नई दिल्ली [ वीके शुक्ला] । निगम चुनाव में आप की करारी शिकस्‍त के बाद दिल्‍ली की बागडोर आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय को सौंपी गई है। उन्‍हें दिल्‍ली का प्रभारी बनाया गया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि उनके लिए दिल्‍ली की राह इतनी आसान नहीं है। आइए जानते हैं गोपाल राय की मुश्किलें।

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1- गाेवा, पंजाब और दिल्‍ली नगर निगम में चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) का संगठन कमजोर हो रहा है, कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर चुका है।

2- अब यह ऐसी पार्टी होती जा रही है कि, जिसमें बयानबाजी करने वाले नेताओं की संख्या अधिक बढ़ चुकी है। जबकि संगठन को मजबूत करने वाले कर्मठ कार्यकर्ताओं की संख्या भी हम हो रही है।

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3- दिल्ली में सत्ता होने के बाद भी पार्टी की जड़ मजबूत करने वाला कार्यकर्ता धक्के खा रहा है। कार्यकर्ताओं की मानें तो अनेेक विधायक तो अपने को संगठन से भी बड़ा नेता मान रहे हैं।

4- विधायक अपने खास लोगों की चौकड़ी से ऐसे घिरे हैं, उन्हें बाहर की दुनिया उतनी ही दिखाई दे रही है जितनी वह देखना चाहते। यहां तक कि पार्टी के जिला, विधानसभा और निगम वार्ड स्तर से समर्पित कार्यकर्ताओं तक को सम्मान नहीं मिल रहा।

5- निगम के लिए प्रत्याशियों का टिकट देते समय पार्टी के विधायकों की चली। विधायकों के कहने पर ही अधिक टिकट बांट दिए गए। पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है।

6- वहीं आप संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जनता से मिलने का शुरू किया गया सिलसिला उनके और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक ही सिमट कर रह गया है।

7- अन्य मंत्री हों या विधायक लीक पीट रहे हैं। कार्यकर्ता और आमजन उनके दरबार में पहुंच भी रहे हैं तो उनके काम नहीं होते। कई कार्यकर्ता तो अब अपनी भड़ास जनता के बीच जाकर निकाल रहे हैं।

8- इतना ही नहीं मंत्रियों या विधायकों के यहां यदि कोई कार्यकर्ता किसी काम के लिए इलाके के किसी व्यक्ति को लेकर जाता है तो उसे भी तभी सम्मान मिलता है, जब वह निजी तौर पर मंत्री या विधायक को जानता है।

आप की जीत के पीछे का राज

पार्टी की कार्यप्रणाली से नाराज सूत्र यहां तक कह रहे हैं कि आप ने इस निगम चुनाव में कई सीटें इसलिए जीत ली हैं कि भाजपा व कांग्रेस के लोगों ने अपने प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया है।

दूसरे दलों के ऐसे लोग आप से भी खुश नहीं हैं मगर वे अपने दल के प्रत्याशियों से अधिक नाराज थे। ऐसे में उन्हें सबक दिखाने के लिए उन्होंने आप के लिए मतदान किया।

वहीं कार्यकर्ताओं की मानें तो खुद गोपाल राय को भी अपने में बदलाव लाना होगा। अन्यथा पार्टी में इतनी जल्द नई ऊर्जा आने वाली नहीं है।


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