कोरोना महामारी को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने उठाए पर्याप्त कदम: हाई कोर्ट
दिल्ली सरकार ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की भी शुरुआत कर दी है और सभी सरकारी अस्पतालों से भी रैपिड एंटीजन टेस्ट करने को कहा गया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राजधानी में कोरोना महामारी पर रोक लगाने को लेकर दिल्ली सरकार ने पर्याप्त कदम उठाए हैं। स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने हालांकि, सरकार को निर्देश दिया कि अदालत व सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कराएं।
पीठ ने उक्त टिप्पणियों के साथ यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि सरकार ने बेड की संख्या, हेल्पलाइन नंबर, एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने के साथ ही प्लाज्मा बैंक स्थापित करने जैसा कदम उठाया है, ऐसे में अब इस मामले का निगरानी करने की जरूरत नहीं है।वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से स्टैं¨डग काउंसल राहुल मेहरा ने पीठ से कहा कि उसने मरीजों की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत कर दी है जिसके साथ अन्य 50 नंबर है। साथ ही मरीजों को लाने और ले जाने के लिए 602 एंबुलेंस है, इनमें से 273 एंबुलेंस कोरोना मरीजों के लिए है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उसके पास कोरोना मरीजों के लिए बेड खाली है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की भी शुरुआत कर दी है और सभी सरकारी अस्पतालों से भी रैपिड एंटीजन टेस्ट करने को कहा गया है। दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि अलावा सभी अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है ताकि व समय-समय पर रिक्त बेड की जानकारी आम लोगों को और मरीजों को देते रहें। साथ ही अस्पताल और सरकार के बीच समन्वय का काम करें। इसके अलावा दिल्ली में दो प्लाज्मा बैंक में खोले गए हैं और ठीक हो चुके मरीजों से प्लाज्मा दान करने का आग्रह किया जा रहा है। मुख्य पीठ ने सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक वीडियो क्लिप का स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू की थी। इस वीडियो में एक व्यक्ति अपनी कोरोना संक्रमित मां को भर्ती कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागता नजर आ रहा था।