Kisan Andolan: वकीलों के पैनल पर दिल्ली सरकार का एलान-ए-जंग, LG के अड़ने से मुश्किल हुई राह
एलजी अनिल बैजल के बार-बार कहने पर भी अरविंद केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के पैनल को दरकिनार कर अपने अधिवक्ता पैनल पर भले ही मुहर लगा दी हो लेकिन इस प्रकरण में दिल्ली सरकार की राह इतनी आसान नहीं है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। इस बीच कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन से जुड़े मामले में वकीलों के पैनल को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल और दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार में विवाद बढ़ने के आसार हैं। एलजी अनिल बैजल के बार-बार कहने पर भी अरविंद केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के पैनल को दरकिनार कर अपने अधिवक्ता पैनल पर भले ही मुहर लगा दी हो, लेकिन इस प्रकरण में दिल्ली सरकार की राह इतनी आसान नहीं है। राजनिवास से दिल्ली सरकार के इस निर्णय को मंजूरी मिलने की संभावना न के बराबर है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कैबिनेट के फैसले को उपराज्यपाल अनिल बैजल राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं और अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता पैनल को मंजूरी दे सकते हैं। जानकारों की मानें तो दिल्ली सरकार का निर्णय कहीं न कहीं पंजाब विस चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है। इसी के चलते सरकार शुरू से ही आंदोलन का समर्थन करती रही है और हर कदम पर कृषि कानूनों का विरोध करने वालों के साथ भी खड़ी रही है। दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता पैनल का विरोध करके भी वह एक बार फिर यह संदेश देने में कामयाब रही ही है कि वह केंद्रीय कृषि कानूनों का समर्थन नहीं करती और इनका विरोध करने वालों के साथ है।
वहीं, दूसरी तरफ, राजनिवास की नजर में गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के रोज किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा, राष्ट्रध्वज का अनादर, कानून के शासन का उल्लंघन और ऐतिहासिक लाल किले में तोड़फोड़ असामान्य मामला है। ऐसे में अब बड़ा विवाद पैदा हो गया है। इस साल यह पहला विवाद है, जिस पर आम आदमी पार्टी और एलजी अनिल बैजल के बीच कुछ दिनों से खींचतान जारी है।