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दिल्ली की सड़कों पर अब अगले महीने से कभी नहीं दिखेगा ये अंतिम हाथी भी, ये है वजह

दिल्ली की सड़कों पर अगले महीने से गजराज नहीं दिखेंगे। राजधानी में अब ये सिर्फ चिड़ियाघर में ही नजर आएंगे।

By Edited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 11:35 AM (IST)
दिल्ली की सड़कों पर अब अगले महीने से कभी नहीं दिखेगा ये अंतिम हाथी भी, ये है वजह
दिल्ली की सड़कों पर अब अगले महीने से कभी नहीं दिखेगा ये अंतिम हाथी भी, ये है वजह

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली की सड़कों पर अगले महीने से गजराज नहीं दिखेंगे। राजधानी में अब ये सिर्फ चिड़ियाघर में ही नजर आएंगे। दिल्ली की सड़कों से इन्हें हटाने की प्रक्रिया के तहत जनवरी से अब तक पांच हाथी बाहर भेजे जा चुके हैं। अब केवल एक मादा हाथी लक्ष्मी ही बची है, जिसे जुलाई महीने की समाप्ति से पहले ही यमुनानगर (हरियाणा) के वन संतूर में भेज दिया जाएगा।

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दिल्ली सरकार के वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के तहत जनवरी से अब तक तीन हाथी गुजरात के जामनगर भेजे गए हैं। एक हाथी जयपुर के आमेर में भेजा गया है। इन दोनों राज्य सरकारों की अनुमति मिलने के बाद हाथियों के मालिक उन्हें वहां ले गए हैं। एक मादा हाथी मोती को दिल्ली सरकार ने उसके मालिक से अपने कब्जे में लेकर हरियाणा के यमुनानगर स्थित वन संतूर भेज दिया है।

हरियाणा सरकार ने दी सहमति
लक्ष्मी को भी वन संतूर में भेजने की हरियाणा के वन विभाग से सहमति बनी थी, लेकिन उसे हरपीज (खुजली) की बीमारी होने से वन संतूर ने लेने से मना कर दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार असोला वन्यजीव अभयारण्य में लक्ष्मी के रहने की व्यवस्था कर रही थी, लेकिन दो दिन पहले ही हरियाणा ने लक्ष्मी को लेने पर सहमति जता दी है।

सूत्रों का कहना है कि हरियाणा से एक या दो दिन में पत्र आ जाएगा। इसके बाद सरकार लक्ष्मी को अपने कब्जे में लेने के लिए उसके मालिक को नोटिस भेजेगी। नोटिस के सात दिन के बाद लक्ष्मी को वन संतूर में भेज दिया जाएगा। एक एनजीओ की शिकायत पर पिछले चार साल से हाथियों को दिल्ली से हटाने की प्रक्रिया चल रही थी।
एनजीओ ने की थी शिकायत
एनजीओ ने हाथियों को दिल्ली में अच्छा वातावरण न मिलने का आरोप लगाया था। इस पर वन विभाग ने दिल्ली के सभी छह हाथियों के मालिकों को नोटिस दिया था। विभाग ने हाथियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन मालिक हाई कोर्ट चले गए थे। कोर्ट के निर्देश पर कमेटी बनाई गई। कोर्ट ने कहा था कमेटी यह जांच करे कि हाथियों को उचित वातावरण मिल रहा है कि नहीं।

कमेटी ने भी रिपोर्ट दी कि हाथियों को उचित माहौल नहीं मिल पा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हाथियों के मालिक उनके रहने के लिए उचित व्यवस्था करें, नहीं तो वन विभाग इन्हें अपने कब्जे में ले ले, लेकिन वन विभाग इन्हें तब तक कब्जे में न ले, जब तक उनके रखने के लिए उचित प्रबंध न हो जाएं। मालिकों ने वजीराबाद के पास एक जगह बताई, लेकिन कमेटी ने इसे अस्वीकार कर दिया।

दिल्ली सरकार ने यूपी सरकार से मांगी थी अनुमति
इसके बाद दो हाथियों के मालियों ने बड़ौत (उत्तर प्रदेश) के पास दो जगहें बताई, जिन्हें कमेटी ने स्वीकार कर लिया। जब दिल्ली के वन विभाग ने उत्तर प्रदेश के वन विभाग से अनुमति मांगी तो उसने हाथियों को रखे जाने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद गुजरात और राजस्थान की सरकार से बात की गई। दोनों सरकारों से स्वीकृति मिलने के बाद तीन हाथी गुजरात व एक हाथी राजस्थान भेजा गया।

वन विभाग द्वारा चार नोटिस भेजने के बाद भी जब दो हाथियों के मालिकों ने उन्हें उचित तरह से रखे जाने का प्रबंध नहीं किया तो वन विभाग ने इन्हें कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की। सदियों से दिल्ली में रही है हाथियों की उपस्थिति दिल्ली में हाथियों की उपस्थिति सदियों से रही है। पृथ्वीराज चौहान (ग्यारहवीं शताब्दी) के समय में दिल्ली में हाथियों की उपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं। मुगलकाल (1526-1837) के इतिहास में भी हाथियों के बारे में बार-बार जिक्र किया गया है।
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