गरीबों के इलाज में अब नहीं चलेगी बड़े अस्पतालों की मनमानी, लग सकता है जुर्माना
सूत्रों ने बताया कि अपोलो अस्पताल को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 33 फीसद इलाज मुफ्त में करना चाहिए था, लेकिन 3.6 फीसद इलाज मुफ्त में पाया गया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली के बड़े अस्पताल में इलाज के नाम पर लापरवाही सामने आ रही है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत मुफ्त इलाज में दिल्ली विधानसभा की अल्पसंख्यक कल्याण समिति ने कई अनियमितताएं पाई हैं। समिति ने पाया कि इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल व फोर्टिस स्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में इस कोटे के तहत गरीबों का इलाज नहीं किया गया है।
समिति ने दिया दोनों अस्पतालों में ऑडिट कराने का आदेश
समिति ने इन दोनों अस्पतालों में ऑडिट कराने का आदेश दिया है। समिति ने निर्देश दिया कि गड़बड़ी के लिए इन पर जुर्माना लगाया जाए। वहीं उसने दिल्ली के 51 और निजी अस्पतालों से ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत मुफ्त में इलाज करने के बारे में जानकारी मांगी है।
बैठक में हुई थी विस्तार से चर्चा
विधानसभा में मंगलवार को समिति के अध्यक्ष अमानतुल्ला खान ने बैठक बुलाई थी। इसमें स्वास्थ्य विभाग के सचिव व अन्य अधिकारियों सहित अपोलो व फोर्टिस स्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट के अधिकारियों को भी बुलाया गया था। कमेटी के सामने दोनों अस्पतालों ने वर्ष 2018 में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत गरीबों के इलाज का रिकार्ड प्रस्तुत किया।
अपोलो अस्पताल में लक्ष्य का मात्र दस फीसद
सूत्रों ने बताया कि अपोलो अस्पताल को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 33 फीसद इलाज मुफ्त में करना चाहिए था, लेकिन 3.6 फीसद इलाज मुफ्त में पाया गया है। फोर्टिस स्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में 10 फीसद की जगह 2.5 फीसद लोगों का ही मुफ्त में इलाज किया गया।
अस्पताल साल भर बेड फुल दिखाते हैं
यह भी सामने आया है कि इन अस्पतालों में साल भर ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत बेड भरे हुए दिखाए जाते हैं। इसमें गड़बड़ी की जा रही है, इसलिए इन अस्पतालों का ऑडिट कराना जरूरी है। समिति ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई।
धांधली पर लगी फटकार
अधिकारियों से कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर धांधली की जा रही थी और आप मौन थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने समिति को बताया कि अपोलो अस्पताल के लाइसेंस का भी नवीनीकरण होना है। समिति ने इस मामले में भी विचार करने के लिए कहा है।