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Delhi Rains: मानसून की पहली बारिश में ही कैसे हुआ इतना जलभराव, नालों की सफाई पर उठ रहे सवाल

Delhi Waterlogging राजधानी दिल्ली में पिछली बार जलभराव वाले 147 स्थान चिह्नित किए गए थे जबकि इस साल कुछ नए प्वाइंट भी जुड़ गए हैं। इन्हें मिलाकर इनकी संख्या 171 हो गई है। जलभराव वाले नए प्वाइंट भी बनते जा रहे हैं।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 07:11 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 07:11 AM (IST)
Delhi Rains: मानसून की पहली बारिश में ही कैसे हुआ इतना जलभराव, नालों की सफाई पर उठ रहे सवाल

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। मानसून की पहली बारिश से हुए भारी जलभराव से नालों की सफाई पर सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण यह भी है कि कुछ दिन पहले ही पीडब्ल्यूडी और दिल्ली नगर निगम ने नालों की सफाई का कार्य 95 प्रतिशत पूरा होने का दावा किया था।

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लोग मान रहे थे कि नाले लगभग साफ हो गए हैं। ऐसे में इस बार जलभराव नहीं होगा। लेकिन, दो दिन पहले हुई पहली बारिश में ही शहर पानी में तैरता नजर आया। इस बार उन मुख्य मार्गो पर भी पानी भर गया, जहां कई वर्षों से जलभराव नहीं हुआ था। पानी भर जाने से दर्जनों वाहन खराब हो गए। लोगों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ी।स्थिति पर गौर करें तो अभी मानसून की पहली वर्षा हुई है।

दिल्ली में पिछली बार जलभराव वाले 147 स्थान चिह्नित किए गए थे, जबकि इस साल कुछ नए प्वाइंट भी जुड़ गए हैं। इन्हें मिलाकर इनकी संख्या 171 हो गई है। जलभराव वाले नए प्वाइंट भी बनते जा रहे हैं। हर साल जलभराव की समस्या बढ़ती जा रही है। यमुनापार के तमाम स्थानों के अलावा आइटीओ, पुरानी दिल्ली के अलावा इस बार धौलाकुआं इलाके में मुख्य मार्ग पर भारी जलभराव हुआ।

धौलाकुआं में करीब डेढ़ घंटे पर सड़क पर पानी भरा रहा। वाहन चालक परेशान रहे, कई महंगी कारें पानी में बंद हो गई जिन्हें बाद में क्रेन की मदद से निकाला गया। जबकि, इस प्वाइंट पर चार साल के दौरान कभी पानी नहीं भरा था। जबकि, यहां पर पानी की निकासी के लिए पंप भी लगे हैं। दिल्ली पीडब्ल्यूडी की बात करें तो इस विभाग के पास 1259 किलोमीटर सड़कें हैं। इन सड़कों के दोनों ओर नाले हैं।

विभाग नालों की सफाई मानसून के आने से पहले तो करता ही है, यह कार्य अब पूरे साल जारी रहता है। यह विभाग प्रतिवर्ष नालों की सफाई पर 35 करोड़ से अधिक राशि नालों की सफाई पर खर्च करता है। इस कार्य में रिंग रोड और बाहरी रिंग रोड के दैनिक रखरखाव, सिविल कार्य, मरम्मत, इलेक्टि्रकल और उद्यान विभाग से संबंधित कार्य भी शामिल होते हैं।

पीडब्ल्यूडी ने स्पष्ट किया है कि नालों की सफाई के कार्य के साथ साथ संबंधित सड़कों की दैनिक स्तर पर मरम्मत, गड्ढों को भरा जाना भी इसमें शामिल है। पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर हो रहे जलभराव को लेकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते कि विभाग की ओर से नाले पूरी तरह साफ किए गए हैं, लेकिन जलभराव अत्यधिक वर्षा के कारण हुआ है।

पीडब्ल्यूडी के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि हम यह कह सकते हैं कि बरसाती पानी की निकासी का सिस्टम शहर की जरूरत के हिसाब से उपयुक्त नहीं है। लेकिन, यह भी देखना बहुत जरूरी है कि मानसून से पहले जलभराव को रोकने के लिए होने वाले प्रयास क्या पूरी इमानदारी से हो रहे हैं।

कहीं ऐसा तो नहीं है कि मानसून से पहले नालों की सफाई केवल कागजों में ही नहीं हो रही है। यह भी जरूरी है कि वर्षा का पानी की निकासी के लिए जो पंप लगे हैं, उन्हें क्या समय पर चलाया जा रहा है। क्या उन्हें चलाने के लिए ईधन उपलब्ध कराया गया है। ऐसे में अधिकारियों द्वारा इस बात का भी औचक निरीक्षण होना चाहिए कि जिन कर्मचारियों की ड्यूटी पंपों पर लगी है, वे ठीक से क‌र्त्तव्यपालन कर रहे हैं या नहीं।


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