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दिल्ली में स्कूली बच्चों का मागदर्शन कर रहे द्वारका पुलिस उपायुक्त

द्वारका जिला पुलिस ने स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिए मार्गदर्शन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत समय समय पर पुलिस उपायुक्त स्वयं बच्चों से मिलकर उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ व्यावहारिक जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित करेंगे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 03:44 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 04:12 PM (IST)
शुक्रवार को उपायुक्त शंकर चौधरी से मिलने कई बच्चे पहुंचे।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। द्वारका जिला पुलिस ने स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के लिए मार्गदर्शन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत समय समय पर पुलिस उपायुक्त स्वयं बच्चों से मिलकर उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ व्यावहारिक जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि आगे चलकर ये बच्चे एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। शुक्रवार को उपायुक्त शंकर चौधरी से मिलने कई बच्चे पहुंचे। यहां उन्होंने बच्चों से कहा कि हम सभी के व्यक्तित्व में कुछ हमारी मजबूती व कुछ हमारी कमजोरी होती है। जो हमारा मजबूत पक्ष है, उसमें हमें और निखार लाना है।

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वहीं, कमजोर पक्ष को लेकर चिंता करने से बेहतर है सकारात्मक सोच के साथ उसमें सुधार किया जाए ताकि जो कमजोरियां हैं, वे दूर हों। उन्होंने कहा कि हम जब अपने घर में रहते हैं, तब वहां स्वजन के आचरण से भी काफी कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने स्वयं अपना उदाहरण दिया और बताया कि उन्होंने ईमानदारी व कर्तव्य के प्रति निष्ठा से जुड़ी बातें अपने स्वजन से सीखीं। लक्ष्य को पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत का ही फल है कि आज वे भारतीय पुलिस सेवा के अंग हैं। उपायुक्त ने बच्चों से कहा कि वे पूरी लगन के साथ मेहनत करें तो जीवन में हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकेंगे।

उन्होंने बच्चों से कहा कि तनाव को कभी भी जिंदगी में खुद के ऊपर हावी नहीं होने दें। हमेशा सकारात्मक सोच रखें और किसी भी कार्य को करने में अपना सौ फीसद दें। ऐसा करने से नतीजा चाहे जो भी मिले, लेकिन मन में संतुष्टि का अहसास होता है। हम किसी कार्य को करने में अपना सौ फीसद दे रहें हैं तो यकीन मानें परिणाम बेहतर ही मिलेंगे। हम अपना सौ फीसद तभी दे पाएंगे, जब हम अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह ईमानदार होंगे।

नहीं है एक भी निजी गाड़ी: उपायुक्त ने बच्चों को बताया कि उनके पास अपनी एक भी निजी कार नहीं है, लेकिन लगन मेहनत से आज वे जिस स्थिति में हैं, उनके पास सरकारी वाहन की सुविधा है। इस स्थिति में तब पहुंचे, जब उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत की।

उन्होंने कहा कि जब उनका चयन सिविल सेवा के लिए हुआ, तब उन्होंने एक महीना के लिए अध्यापन कार्य भी किया। जिन विद्यार्थियों को उन्होंने पढ़ाया, आज उनमें से कई अच्छे पदों पर हैं। उन्होंने बच्चों को कहा कि आने वाले समय में ऐसे कार्यक्रम होते रहेंगे, जिसमें पुलिस अधिकारी बच्चों का मार्गदर्शन करें।


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