Delhi Development Authority: लैंड बैंक बनाने की योजना सिरे चढ़ने से पहले ही हो गई खारिज, जानिए क्या है इसके पीछे का कारण
लेकिन नहीं हो पाया शुरू डीडीए ने कहा- जब जमीन ही नहीं तो फिर बैक कैसा दिल्ली की लगातार बढ़ती आबादी और कम होती जमीन के चलते भूमि बैंक की योजना आगे ही नहीं बढ़ सकी। डीडीए का कहना है कि अब उसके पास पौधारोपण के लिए कहीं पर भी जमीन खाली नहीं बची है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर दिल्ली में भी लैंड (भूमि) बैंक बनाने की योजना सिरे चढ़ने से पहले ही खारिज हो गई है। दरअसल, जमीन की कमी होने से यह बैंक अस्तित्व में ही नहीं आ पाया। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अब इस बैंक की योजना को पूरी तरह से नकार दिया है।
गौरतलब है कि विकास कार्यो के लिए दिल्ली में पेड़ काटना बहुत बार मजबूरी बन जाता है। हालांकि, इस स्थिति में संबंधित एजेंसी की ओर से एक के बदले 10 पेड़ लगाए जाने का प्रविधान है, लेकिन पेड़ लगाने के लिए जगह न मिलना बड़ी समस्या बन जाती है।
हरित क्षेत्र के विस्तार में आ रही इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए 2020 में वन विभाग और डीडीए के बीच भूमि बैंक को लेकर सहमति बनी, लेकिन कुछ ही माह में शुरू होने वाला यह बैंक अभी तक वजूद में नहीं आ पाया। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में भूमि डीडीए के ही पास होती है, लिहाजा डीडीए को हर साल पौधारोपण के लिए एक ही या अलग-अलग जगह खाली जमीन मुहैया करानी थी।
जमीन का मालिकाना हक उसी के पास रहना था, जबकि सात साल तक उसका रखरखाव वन विभाग को करना था। किसी भी एजेंसी को पेड़ लगाने के लिए जमीन की जरूरत होती तो उसे वन विभाग से जमीन मिल जाती। वन विभाग संबंधित एजेंसी को उसकी जरूरत के मुताबिक जमीन दे देता। लेकिन दिल्ली की लगातार बढ़ती आबादी और कम होती जमीन के चलते भूमि बैंक की योजना आगे ही नहीं बढ़ सकी। डीडीए का कहना है कि अब उसके पास पौधारोपण के लिए कहीं पर भी जमीन खाली नहीं बची है। छोटे-छोटे टुकड़ों में जो जमीन है वह दिल्लीवासियों की अन्य जरूरतों के लिए है। जैसे, स्कूल, पार्क, सामुदायिक भवन इत्यादि।
राजीव तिवारी (प्रधान आयुक्त, उद्यान, डीडीए) का कहना है कि डीडीए के पास पौधारोपण के लिए कहीं जमीन नहीं बची है। मास्टर प्लान के हिसाब से भी दिल्ली का हरित क्षेत्र तय सीमा से ज्यादा हो चुका है। ऐसे में भूमि बैंक का भी कोई मतलब नहीं रह जाता। इसी के चलते केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पौधारोपण के लिए दिल्ली को पड़ोसी राज्यों में जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।