Move to Jagran APP

Delhi Crime News: औद्योगिक प्लाट दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी, EOW ने दो को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने औद्योगिक प्लाट दिलाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी में दो ठगों को गिरफ्तार किया है। विक्रम सक्सेना और मिथून भटनागर आपस में रिश्तेदार हैं। वे दिल्ली स्टेट इन्फ्राट्रक्चरल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का अधिकारी बनकर पीड़ितों से मिले थे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 06:59 PM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 06:59 PM (IST)
ईओडब्ल्यू) औद्योगिक प्लाट दिलाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी में दो ठगों को गिरफ्तार किया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने औद्योगिक प्लाट दिलाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी में दो ठगों को गिरफ्तार किया है। विक्रम सक्सेना और मिथून भटनागर आपस में रिश्तेदार हैं। वे दिल्ली स्टेट इन्फ्राट्रक्चरल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (डीएसआइआइडीसी) का अधिकारी बनकर पीड़ितों से मिले थे। उन्होंने विभाग द्वारा अस्वीकार कर चुके आवेदन पर दोबारा से प्रक्रिया शुरू करवाने के नाम पर सात लोगों से आठ करोड़ रुपये ठग लिए थे।

loksabha election banner

ईओडब्ल्यू के डीसीपी मोहम्मद अली ने बताया कि केवल पार्क निवासी नरेश जिंदल सहित अन्य ने प्लाट के नाम पर वर्ष 2020 में पुलिस में ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ितों ने बताया था कि उन्होंने वर्ष 1998 में औद्योगिक प्लाट के लिए  डीएसआइआइडीसी में आवेदन किया था। लेकिन विभाग ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। इसी बीच में वर्ष 2018 में खुद को डीएसआइआइडीसी का अधिकारी बताकर विक्रम सक्सेना, अजय सक्सेना व उनके सहयोगी उनसे मिले थे।

उन्होंने विभाग का अपना पहचान पत्र और पीड़ितों का आवेदन पत्र भी दिखाया था। इस दौरान आरोपितों ने पीड़ितों को अतिरिक्त रुपये खर्च करने पर विभागीय प्लॉट दिलाने का झांसा दिया था। विश्वास कर पीड़ित ठगों के झांसे में  आ गए और उन्हें प्लाट के लिए आठ करोड़ रुपये दे दिए। उधर रुपये लेने के बाद आरोपित भूमिगत हो गए।

शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने आरोपितों की तलाश शुरू की और शुक्रवार को मूल रूप से देहरादून, उत्तराखंड निवासी विक्रम सक्सेना और सहारनपुर, उत्तर प्रदेश निवासी मिथून भटनागर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अब अन्य आरोपित अजय सक्सेना की तलाश कर रही है। पुलिस पूछताछ में पता चला कि विक्रम सक्सेना पहले डीएसआइआइडीसी में एजेंट था।

विभाग ने कई लोगों के औद्योगिक प्लाट का आवेदन रद्द कर दिया था। कुछ आवेदन आरोपितों के हाथ लगे थे। जिसके बाद विक्रम सक्सेना ने भाई अजय सक्सेना और जीजा मिथून भटनागर के साथ आवेदन करने वालों से ठगी की योजना बनाई थी। लोगों को झांसे में रखा जाए इसलिए उन्होंने विभाग से मिलता जुलता नाम से अपनी कंपनी भी बना ली थी।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.