Delhi Crime: 'तीसरी आंख' का वरदान, पर पुलिस की नजर ही 'कमजोर'
आज दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों की पुलिस के पास जिस तरह संसाधन उपलब्ध हैं उस हिसाब से स्ट्रीट क्राइम की घटनाओं को सड़कों पर होने वाले अपराध को तो पुलिस कुछ हद तक रोक सकती है। लेकिन संसाधन लगा तो दिए गए उनका सदुपयोग कौन करे?
नई दिल्ली, जागरण संवीददाता । क्या पुलिस अपराध होने से पहले पहुंच सकती है? ये सवाल पहले निराश करता था लेकिन आज दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों की पुलिस के पास जिस तरह संसाधन उपलब्ध हैं उस हिसाब से स्ट्रीट क्राइम की घटनाओं को, सड़कों पर होने वाले अपराध को तो पुलिस कुछ हद तक रोक सकती है। लेकिन संसाधन लगा तो दिए गए उनका सदुपयोग कौन करे?
इस समय पुलिस के लिए सीसीटीवी यानी तीसरी नजर किसी वरदान से कम नहीं है। हर अपराध में सबसे अहम कड़ी, सबूत इसके फुटेज ही बनते हैं। लेकिन दुर्भाग्य देखिए पुलिस के आला अधिकारियों ने अपने पास इसका पूरा सिस्टम तो रख लिया, अब उसकी निगरानी कौन करे?
दिल्ली की कानून-व्यवस्था स्थिति पर गंभीर सवाल
इसीलिए तो अपराध होने के बाद ही इसमें सबूत खंगाले जाते हैं। पीसीआर सिस्टम है समय-समय पर ये भी कटघरे में होता है, एक काल का रिस्पांस तो दूर फोन की कई घंटियां उतर जाने पर भी तत्परता नहीं दिखती। दिल्ली-एनसीआर में बीते दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। नव वर्ष पर जब पूरी दिल्ली अलर्ट थी, तब एक युवती को कार से 12 किमी तक घसीटा गया, जिससे उसकी मौत हो गई। दिल्ली ही नहीं, नोएडा में भी एक युवक को कार से 500 मीटर तक घसीटा गया, इससे उसकी भी जान चली गई। इस बीच, अपराध के कई बड़े मामले गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद में भी सामने आए हैं। दिल्ली पुलिस देश की संपन्न पुलिस में मानी जाती है।
पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था के बावजूद अपराध पर नियंत्रण नहीं
एनसीआर के गुरुग्राम, फरीदाबाद में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था है और नोएडा के बाद अब गाजियाबाद में भी पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था है। इसके बावजूद, दिल्ली-एनसीआर में अपराध पर प्रभावी नियंत्रण न होना गंभीर सवाल है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर जहां पुलिस अत्याधुनिक संसाधनों से लैस है, वहां भी कानून-व्यवस्था कठघरे में क्यों है? पुलिस कसौटी पर खरी क्यों नहीं उतर पा रही? दिल्ली-एनसीआर की पुलिस व्यवस्था में क्या सुधार किए जाने की आवश्यकता है कि वह क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोग सड़कों पर खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें?
पेरोल पर जेल से छूटे अपराधियों पर रखनी होगी नजर
ऐसे सुरक्षित होंगी दिल्ली की सड़कें: लोगों की सुरक्षा के लिए जिन पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है,वह अपनी जिम्मेदारी और कार्य का निर्वहन सही तरीके से करें। जितने समय भी ड्यूटी करें पूरी ईमानदारी से करें। मोबाइल पेट्रोलिंग पर विशेष ध्यान दें। जिस क्षेत्र में पुलिसकर्मी की ड्यूटी है, वहां के अधिक से अधिक लोगों से संवाद स्थापित करने का प्रयास करें। जहां घटनाएं ज्यादा होती हैं,उन स्थानों का चयन कर वहां निगरानी बढ़ाएं। रियल टाइम रिस्पांस होगा तो अपराधियों में भय व्याप्त होगा। सुनसान रास्तों पर जाने वाले राहगीर को विशेष सुरक्षा प्रदान करनी होगी। अन्य विभागों से भी लगातार संवाद कर समन्वय स्थापित करना होगा।
आधी आबादी का एक सवाल, सुरक्षित माहौल कब देंगे!
दिल्ली पुलिस अत्याधुनिक संसाधनों से लैस है, उसके बावजूद कानून-व्यवस्था का स्तर गिरा ही है। आखिर यहां की पुलिस कसौटी पर खरी क्यों नहीं उतर पा रही है? हर तरह के अपराध में क्यों वृद्धि हो रही है, कहीं पुलिस का डर पब्लिक में कम हुआ है? तभी कहीं कार से दुर्घटना होने के बाद युवती को कई किमी तक घसीटते रहते हैं, कहीं घटना दूसरी जगह होती हैं और टुकड़े-टुकड़े शहर में मिलते हैं। लूट-झपटमारी का मीटर तो थम ही नहीं रहा है। महिला सुरक्षा को लेकर जितने दावे,वादे वे सब खोखले ही नजर आते हैं :
हर तरह के अपराध में हो रही वृद्धि :
यह आंकड़े वर्ष 2022 में 30 नवंबर तक के हैं।
- वाहन चोरी : 34,715
- हत्या : 465
- हत्या के प्रयास : 736
- लूटपाट : 1,707
- दुष्कर्म : 1,911
- झपटमारी : 7,773
- छेड़खानी : 2,343
संगीन अपराध : बढ़ रही हैं लूटपाट
- 2019 : 2020 : 2021
- डकैती : 15 : 9 : 26
- हत्या : 521 : 472 : 459
- हत्या के प्रयास : 487 : 570 : 761
- लूटपाट : 1956 : 1963 : 2333
- दंगा : 23 : 689 : 68
- फिरौती के लिए अपहरण : 15: 11 : 17
- दुष्कर्म : 2168 : 1699 : 2076
गैर संगीन अपराध : नहीं थम रही झपटमारी :
- 2019 : 2020 : 2021
- झपटमारी : 6266 : 7965 : 9383
- चोट पहुंचाने : 1312 : 1064 : 1360
- सेंधमारी : 3026 : 2199 : 2637
- वाहन चोरी : 46215 : 35019 : 37910
- घरों में चोरी : 2630 : 2036 : 2485
- छेड़खानी : 2921: 2186 : 2551
चौंकाती रहीं घटनाएं, उलझी रही गुत्थी:
1-आरडीएक्स : बीते वर्ष 14 जनवरी को गाजीपुर फूल मंडी के गेट नंबर एक के बाहर कोने में बैग में तीन किलो आरडीएक्स रखा हुआ मिला जिसे एनएसजी के बम निरोधक दस्ता ने वहां पर खाली मैदान में लेजाकर मशीन के अंदर रखकर निष्क्रिय कर दिया। ऐसा पहली बार देखा गया जब गणतंत्र दिवस समारोह से चंद दिन पहले राजधानी में भारी मात्रा में आरडीएक्स मिला हो। स्पेशल सेल को 17 फरवरी को उसी तरह के बैग में फिर आरडीएक्स मिला।
2- श्रद्धा हत्याकांड : मुंबई की रहने वाली 28 वर्षीय युवती श्रद्धा वालकर हत्याकांड। श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट मुंबई में दर्ज थी उस हिसाब से मुंबई पुलिस को जांच करनी चाहिए लेकिन मुंबई पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। महरौली में श्रद्धा की हत्या की हत्या कर सारे सबूत मिटा दिए जाने के सात माह बाद जब दिल्ली पुलिस को घटना की जानकारी मिली तब दिल्ली पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पहले आरोपित आफताब को गिरफ्तार किया उसके बाद उससे पूछताछ के आधार पर सबूत जुटाए, केस अभी चल रहा है।
3- अमित गुप्ता हत्याकांड : उत्तरी जिले में होटेलियर व प्रापर्टी डीलर अमित गुप्ता हत्याकांड। गुप्ता के तमाम आईपीएस व आईएएस से नजदीकी संबंध थे। आरोप है कि उसके जरिए कई अधिकारियों की मोटी रकम अलग-अलग व्यवसाय में लगी हुई थी।
4- पांडव नगर में पति के टुकड़े : अंजन दास (45) की 30 मई को उसकी पत्नी पूनम (48) और सौतेले बेटे दीपक (25) ने इस संदेह पर हत्या कर दी थी कि उसकी सौतेली बेटी और बहू के प्रति वह गलत नजर रखता था। मां-बेटे की जोड़ी ने दास के शरीर के टुकड़े कर उसे एक बैग में भर कर जून में कल्याणपुरी स्थित रामलीला मैदान में फेंक दिया था। वहां से पुलिस ने उसके पैर, जांघ, खोपड़ी और बांह की कलाई बरामद की थी।
5- युवती पर फेंका तेजाब : दिसंबर में दो नकाबपोश युवकों ने मोहन गार्डन में 17 वर्षीय लड़की पर उस समय तेजाब फेंक दिया, जब वह पश्चिमी दिल्ली स्थित घर से स्कूल के लिए निकली थी। वह आठ फीसद जल गई थी।
महिला मार्शल बढ़ाई जाएंगी :
महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए डीटीसी और क्लस्टर बसों में महिला मार्शल की तैनाती। अब इस संख्या को बढ़ाने की कोशिश रहेगी ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके।
-सुरक्षित रहें आधी आबादी - किए जा रहे प्रयास
बढ़ाई जाएगी लास्ट माइल कनेक्टिविटी
राजधानी में हर क्षेत्र में मेट्रो का व्यापक नेटवर्क है। लेकिन अभी भी कई स्थानों पर लास्ट माइल कनेक्टिविटी नहीं हैं। जिसके कारण मेट्रो से घर तक पहुंचने में महिलाओं को समस्या होती है। देर रात होने के चलते उन्हें अपनी सुरक्षा का भी डर रहता है। ऐसे में महिलाओं के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी। इसके लिए फीडर बसें चलाई जाएंगी।
हर बस में लगेगा कैमरा और पैनिक बटन
बसों के अंदर भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कैमरा और पैनिक बटन लगाया जाएगा। नई बसों में ये दोनों सुविधा पहले से ही रहेगी। इसके लिए 450 फीडर बसें शुरू होंगी।
सेफ सिटी प्रोजेक्ट लांच होगा : दिल्ली पुलिस महिला सुरक्षा के लिए इस वर्ष सेफ सिटी प्रोजेक्ट लांच करेगा। जिसके तहत सभी सार्वजनिक कैमरे एकीकृत कर के कंट्रोल रूम से जोड़े जाएंगे। ये प्रोजेक्ट महिलाओं के लिए एक सुरक्षा कवच बनकर उभरेगा। दिल्ली पुलिस को महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का पता लगाने में आसानी होगी।
दिया जाएगा आत्मरक्षा प्रशिक्षण
दिल्ली पुलिस स्कूल और कॉलेजों में प्रशिक्षण देगी। ग्रीष्मकालीन से लेकर शीतकालीन अवकाश में भी कैंप लगाकर छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाएंगे।
-दिल्ली पुलिस में महिलाओं की भर्ती बढ़ेगी : वर्ष 2025 तक दिल्ली पुलिस में भी 25 प्रतिशत संख्या महिलाओं की होगी। महिलाएं को वर्दी में देखकर सशक्त होने के साथ ही दूसरों को भी सशक्त करेगी।
खत्म होंगे ब्लैक स्पाट
राजधानी में ब्लैक स्पाट की संख्या को कम किया जाएगा। इसके लिए वर्ष 2023 में दो लाख 10 हजार स्ट्रीट लाइटों को लगाए जाने का कार्य तेजी से किया जाएगा।
अपराध घटाने पर होगा कार्य
महिला सिपाही स्कूलों में जाकर बच्चियों को अपराध को लेकर जागरूक करेंगी। महिलाओं के प्रति अपराध घटे इसको लेकर काम होगा। सभी में सुरक्षा की भावना जगाने पर कार्य किया जाएगा। जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे। ताकि महिलाएं खुद किसी हादसे का शिकार न बने।
एनसीआर में भी बढ़ रहा हर तरह का अपराध
गाजियाबाद :
- : 2020 : 2021 2022
- -हत्या : 53 : 80 : 82
- -लूट : 38 : 79 :69
- -दुष्कर्म : 22 : 59 : 84
फरीदाबाद :
- -हत्या : 5% बढ़ोतरी
- -लूट : 8% बढ़ोतरी
- -झपटमारी : 15% बढ़ोतरी
- -दुष्कर्म : 6 % बढ़ोतरी