Explosion In Rohini Court: शूटआउट के बाद भी सुरक्षित नहीं हुईं दिल्ली की अदालतें
Explosion In Rohini Court शूटआउट की घटना के महज दो माह बाद ही बृहस्पतिवार को रोहिणी के कोर्ट रूम के अंदर हुए बम धमाके की घटना ने दिल्ली पुलिस के दावे को हवा-हवाई साबित कर दिया है।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। बाहरी दिल्ली स्थित रोहिणी कोर्ट में कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी की हत्या के बाद अदालतों की सुरक्षा को लेकर खूब हो-हल्ला मचा था। अदालतों की सुरक्षा को लेकर कई स्तर पर समीक्षा की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर बार एसोसिएशन ने अदालतों की लचर सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताते हुए सुरक्षा बंदोबस्त अभेद्य बनाने के लिए दिल्ली पुलिस को सुझाव दिए थे। इसके बाद अदालतों को पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों की जद में लाने से लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ाने के दावे किए गए थे। लेकिन, शूटआउट की घटना के महज दो माह बाद ही बृहस्पतिवार को रोहिणी के कोर्ट रूम के अंदर हुए बम धमाके की घटना ने दिल्ली पुलिस के दावे को हवा-हवाई साबित कर दिया है।
उक्त घटना ने एक बार फिर अदालतों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर तमाम अत्याधुनिक उपकरणों की जांच परिधि और पुलिसकर्मियों की मुस्तैदी के बावजूद कोर्ट रूम के अंदर विस्फोटक कैसे पहुंचा? बड़ा सवाल यह भी है कि क्या पुलिस ने पिछली घटना से कोई सबक नहीं लिया? क्या अब भी अदालत की सुरक्षा पुराने र्ढे पर ही चल रही है, पुलिस इसको लेकर गंभीर नहीं है?
शूटआउट की घटना के बाद जब अदालतों की सुरक्षा की समीक्षा की गई तब यह बात सामने आई थी कि अब तक अदालतों की सुरक्षा बेहद लचर थी। अदालतों में स्थित पुलिस चौकी में तैनात पुलिसकर्मियों के जिम्मे ही अदालतों की सुरक्षा होती थी। पुलिस चौकी के प्रभारी सब इंस्पेक्टर होते थे। पुलिस आयुक्त ने इसे लेकर बड़ा फैसला लेते हुए अदालतों की सुरक्षा का जिम्मा दिल्ली पुलिस की सुरक्षा यूनिट को सौंप दिया था। हर अदालत में सुरक्षा यूनिट के एक-एक एसीपी और एक-एक इंस्पेक्टर की निगरानी में सुरक्षा यूनिटों के पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई। उसके बाद अदालतों में आने वाले वकीलों, केस की तारीख पर आने वाले लोगों व अन्य को गहन जांच के बाद ही अदालत परिसर में प्रवेश दिए जा रहे थे।
बैग ले जाने वाले की नहीं हो पाई पहचान
इतना सब होने के बावजूद रोहिणी कोर्ट में बम धमाका हो जाने की घटना ने अदालतों की सुरक्षा की फिर पोल खोलकर रख दी है। माना जा रहा था कि शूटआउट की घटना के बाद अदालत परिसर व कोर्ट बिल्डिंग की गैलरियों आदि में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे ताकि कोर्ट रूम में प्रवेश करने वालों पर भी नजर रखी जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। यानी अदालतों में अब भी पर्याप्त सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है। अभी भी रोहिणी समेत अन्य निचली अदालतों के केवल परिसर में ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, कोर्ट बिलिं्डग के अंदर कैमरे नहीं लगे हैं। यही कारण है कि कोर्ट रूम नंबर 102 में लैपटाप बैग ले जाने संदिग्ध की अब तक पहचान नहीं हो गई है।
हो सकता था जानमाल का बड़ा नुकसान
सुबह 10.30 बजे जिस समय कोर्ट रूम में ब्लास्ट हुआ संयोग था कि उस समय में सुनवाई शुरू नहीं हुई थी। महानगर दंडाधिकारी कोर्ट रूम में नहीं आए थे। कोर्ट रूम में चंद लोग ही थे। लैपटाप बैग को कठघरे के पास रख दिया गया था। कोर्ट कर्मचारियों की मानें तो धमाका काफी तेज था, जिससे 15 मिनट तक सुनाई देना बंद हो गया था। अगर भरी हुई अदालत के अंदर बम फटता और बम तेज क्षमता वाला होता है, तब जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था।