दूसरी पत्नी से दुष्कर्म के मामले में जमानत देने मना करते हुए कोर्ट ने पति को बताया धोखेबाज
भजनपुरा थाने में इस वर्ष एक व्यक्ति के खिलाफ उसकी दूसरी पत्नी ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। कोर्ट ने कहा कि आरोपित ने नियत प्रक्रिया का पालन किए बगैर दूसरा विवाह किया है जो पहली व दूसरी पत्नी से धोखा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दूसरी पत्नी से दुष्कर्म करने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने पति को जमानत देने से इन्कार करने के साथ उसे धोखेबाज बता दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार के कोर्ट ने कहा कि तथ्यों को देखने से स्पष्ट होता है कि आरोपित ने सब कुछ पूर्व नियोजित तरीके से किया। उस पर लगे सभी आरोप गंभीर हैं। वह जमानत का हकदार नहीं है। आगे कोर्ट ने कहा कि आरोपित के आचरण से स्पष्ट है कि वह न केवल पहली पत्नी को धोखा दे रहा है, बल्कि शिकायतकर्ता की आंखों में भी धूल झोंक रहा है।
बिना नियत प्रकिया के कर ली दूसरी शादी
आरोपित ने नियत प्रक्रिया का पालन किए बगैर दूसरा विवाह किया है। ऐसे में उसने भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने का अपराध भी किया है। भजनपुरा थाने में इसी साल एक व्यक्ति के खिलाफ उसकी दूसरी पत्नी ने दुष्कर्म व छल करने और धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया था। इस पर पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर गत छह मार्च को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। कुछ दिन पहले आरोपित ने जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
कोर्ट में आरोपित ने कहा झूठा है मामला
आरोपित की तरफ से उसके वकीलों ने कोर्ट को बताया कि यह सिर्फ पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद का मामला है। पत्नी ने पति के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। पत्नी पुलिस को कह चुकी है कि वह आगे कार्रवाई नहीं चाहती। फिर भी पुलिस जांच जारी रखे हुए है। ऐसे में उनके मुवक्किल की जमानत अर्जी स्वीकृत कर दी जाए। वहीं, मुख्य लोक अभियोजक ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता ने कभी भी यह बात नहीं कही कि वह जांच नहीं चाहतीं।
जमानत अर्जी खारिज
वह तो मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप के संबंध में अपना बयान दर्ज करा चुकी हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आरोपित ने शादीशुदा होने के बावजूद शिकायतकर्ता से दूसरा विवाह किया। यह जानते हुए कि ऐसा करना गैर कानूनी है और उसने अपनी दूसरी पत्नी से कई बार दुष्कर्म किया। ऐसे मे उसकी जमानत अर्जी खारिज की जानी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
पुलिस के आचरण पर कोर्ट ने उठाए सवाल
कोर्ट ने इस मामले में पुलिस के आचरण पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन जांच अधिकारी ने दैनिक डायरी में एंट्री दर्ज कर रख थी कि शिकायतकर्ता एफआइआर पर आगे कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है, जबकि शिकायतकर्ता ने इस बात का खंडन किया है। उन्होंने डीसीपी के यहां शिकायत दर्ज कराई थी कि पुलिस उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रही। कोर्ट ने कहा कि पुलिस के ऐसे आचरण की सराहना नहीं की जा सकती। इस आदेश की प्रति कोर्ट ने पूर्वी जिले के संयुक्त आयुक्त को भेजी है।