Muzaffarpur Shelter home Case: साकेत कोर्ट में 18 मार्च को तय किए जाएंगे आरोप
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में 18 मार्च को आरोप तय किए जाएंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में 18 मार्च को आरोप तय किए जाएंगे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत में सभी आरोपितों की तरफ से बुधवार को दलीलें पेश की गई। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद आरोप तय करने के लिए 18 मार्च की तिथि निर्धारित की है।
अभी हाल में पांच आरोपितों ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था। उनका कहना था कि उनके खिलाफ सीबीआइ के पास पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में बतौर आरोपी 21 लोगों का नाम शामिल है। बता दें कि कोर्ट में डे टू डे(रोजाना) सुनवाई होगी और छह महीने के भीतर ट्रायल पूरा होगा।
बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही को लेकर नीतीश सरकार के साथ सीबीआइ को भी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि बच्चों के साथ इस तरह का बर्ताव दुर्भायपूर्ण है। नाराज सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले को बिहार की सीबीआइ कोर्ट से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
क्या है पूरा मामला?
टाटा इंस्टरच्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में बिहार के विभिन्न शेल्टर होम में लड़कियों व बच्चों के उत्पीड़न व उनके साथ यौन हिंसा की बातें उजागर हुईं थीं। पहले तो सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में कार्रवाई की गई। 31 मई 2018 को बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने शेल्टर होम के पदाधिकारियों पर पॉक्सो व आइपीसी की धाराओं में महिला थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद 28 जुलाई को सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की।
जांच के दौरान सीबीआइ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर, इंदु कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी, रवि कुमार रोशन, विकास कुमार, दिलीप कुमार वर्मा, विजय कुमार तिवारी, गुड्डू कुमार पटेल, किशन राम उर्फ कृष्णा, रोजी रानी, डॉ. अश्विनी उर्फ आसमानी, विक्की, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह व साइस्ता परवीन उर्फ मधु को आरोपित किया। मामले के मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर को पंजाब के जेल में स्थानांतरित कर दिया गया, ताकि वह मुकदमा प्रभावित न कर सके।