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दिल्ली में 5 अक्टूबर से शुरू होगा बायो डिकंपोजर के घोल का छिड़काव, सीएम केजरीवाल ने किया शुभारंभ

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खड़कडी नाहर स्थित राजकीय फार्म में डी कंपोजर घोल के निर्माण की प्रक्रिया का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 4200 एकड़ खेत पर इस घोल का छिड़काव किया जाएगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 12:33 PM (IST)
दिल्ली में 5 अक्टूबर से शुरू होगा बायो डिकंपोजर के घोल का छिड़काव, सीएम केजरीवाल ने किया शुभारंभ
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने किया डी कंपोजर घोल के निर्माण की प्रक्रिया का शुभारंभ

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को खरखरी नाहर में पूसा संस्थान के सहयोग से बायो डि-कंपोजर घोल बनाने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों से अपील करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की तरह अन्य राज्य भी पराली गलाने में अपने किसानों की मदद करें और बायो डि-कंपोजर के छिड़काव पर आने वाले खर्च का वहन करें। पिछली बार दिल्ली में करीब 300 किसानों ने 1950 एकड़ खेत में बायो डि-कंपोजर का छिड़काव किया था।

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वहीं, इस बार इसके परिणाम से उत्साहित होकर दिल्ली के 844 किसान करीब 4200 एकड़ खेत में इसका छिड़काव करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब पराली का समाधान संभव है और बायो डि-कंपोजर का घोल बनाने से लेकर छिड़काव करने तक एक हजार रुपये प्रति एकड़ से भी कम खर्च पड़ता है। एयर क्वालिटी कमीशन ने भी सभी राज्यों को बायो डि-कंपोजर का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है, ताकि पराली जलाने की समस्या से निजात मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल पूसा संस्थान के साथ मिलकर पराली जलाने की वजह से अक्टूबर और नवंबर में होने वाले धुएं का समाधान निकालने की कोशिश की थी। पूसा संस्थान ने एक किस्म का घोल बनाया है, जिसको बायो डि-कंपोजर कहते हैं। पहले किसान पराली में आग लगा देते थे, क्योंकि अगली फसल बोने के लिए उनके पास समय कम होता है। अब इस बायो डि-कंपोजर के घोल को छिड़कने से 15 से 20 दिन के अंदर पराली का डंठल गल जाता है और वह एक तरह से खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है।

केंद्र की एजेंसी ने किया अध्ययन

अरविंद केजरीवाल ने कहा 'पराली पर बायो डि-कंपोजर घोल छिड़कने के प्रभाव का केंद्र सरकार की एजेंसी वाप्कोस ने अध्ययन किया है। वाप्कोस ने पाया कि बायो डि-कंपोजर के घोल का छिड़काव करने के बाद मिट्टी के अंदर कार्बन और नाइट्रोजन के कंटेंट के साथ और भी जो बहुत सारे गुण मौजूद हैं। पिछली बार इस घोल का इस्तेमाल केवल गैर बासमती धान के खेतों में किया था। इस बार घोल का बासमती धान वाले क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा रहा है।

पांच अक्टूबर से शुरू होगी छिड़काव की प्रक्रिया

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पांच अक्टूबर से इसके छिड़काव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की सरकार को बायो डि-कंपोजर के छिड़काव की शुरुआत करने के लिए एयर क्वालिटी कमीशन ने कहा है। सभी जब इसका इस्तेमाल करेंगे तभी प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।

दस कंपनियों को दिया है लाइसेंस

पूसा इंस्टीट्यूट के बायो डि-कंपोजर प्रबंधन के नोडल अधिकारी इंद्र मनी मिश्र ने कहा 'हमने दस कंपनियों को बायो डि-कंपोजर का कैप्सूल बनाने के लिए लाइसेंस दिया है। पिछले साल की सफलता देखते हुए कई कंपनियां आगे आई हैं। हरियाणा सरकार ने एक लाख एकड़ खेत के लिए बायो डि-कंपोजर की मांग की है। साथ ही, 75 हजार एकड़ खेत के लिए पंजाब सरकार ने मांग की है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इसके परिणाम से उत्साहित होकर 10 लाख एकड़ खेत में इसका प्रयोग करने जा रही है।'


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